युगप्रधान आचार्य श्री तुलसी का दीक्षा शताब्दी वर्ष- एक प्रेरणास्पद अवसर

shreecreates
quicjZaps 15 sept 2025

गंगाशहर, 09 दिसंबर। तेरापंथ धर्मसंघ के युगप्रधान आचार्य श्री तुलसी का दीक्षा शताब्दी वर्ष गंगाशहर में उग्रविहारी तपोमूर्ति मुनिश्री कमल कुमार के पावन सान्निध्य में अत्यंत भव्यता के साथ आयोजित किया गया। मुनिश्री ने इस अवसर पर फरमाया कि आचार्य श्री तुलसी केवल एक कल्पानाकार ही नहीं थे, बल्कि उन्होंने अपनी कल्पनाओं के द्वारा केवल धर्मसंघ का ही नहीं, बल्कि जन-जन का कल्याण करने का बीड़ा उठाया और वे इसमें सर्वत्र सफल हुए।

indication
L.C.Baid Childrens Hospiatl

आचार्य तुलसी के युगान्तकारी योगदान
संघ का विकास: मुनिश्री कमल कुमार ने कहा कि आचार्य श्री तुलसी ने आठ आचार्यों के शासनकाल में हुए संघ के विकास को पूर्ण सुरक्षित रखते हुए नए-नए आयामों से धर्मसंघ को हर तरह से समृद्ध बना दिया।

pop ronak
kaosa

महिला सशक्तीकरण: तेरापंथ समाज में साध्वियों और महिलाओं के विकास का श्रेय आचार्य श्री तुलसी के श्रम को जाता है। आज तेरापंथ की साध्वियों में वक्तृत्व कला, लेखन कला और नेतृत्व कला का जो विकास हुआ है, उसे देखकर बड़े-बड़े विद्वान भी चकित हो जाते हैं।

संगठनात्मक विकास: उन्होंने ज्ञानशालाओं, किशोर मंडल, कन्यामंडल, युवक परिषद् और महिलामंडल के साथ ही अणुव्रत समितियों को सक्रिय कर व्यक्तित्व विकास में सहायक बनाया।

चरित्र निर्माण का लक्ष्य: गुरुदेव का लक्ष्य लोगों को विद्वान, धनवान या बलवान बनाने से पहले उन्हें चरित्रवान बनाने का था। उनके उन्नत विचारों से केवल तेरापंथी और जैन ही नहीं, बल्कि राजनेता, बुद्धिजीवी, व्यापारी, कर्मचारी, विद्यार्थी व शिक्षकवर्ग के साथ अनेक धर्माचार्यों और मठाधीशों ने भी पूरा लाभ उठाया।

तपस्या और भावांजलि की प्रस्तुति -दीक्षा शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में श्रद्धालुओं ने तीन दिवसीय विशेष आयोजन में भाग लिया।
पंचरंगी तपस्या: घर-घर में एकाशन, उपवास, सामायिक, मौन और क्षमा की पंचरंगियों का क्रम चला।
भावपूर्ण प्रस्तुति: प्रथम और द्वितीय दिवस सायं आचार्य श्री तुलसी के प्रति समर्पित गीतों की भावपूर्ण प्रस्तुतियाँ भाई-बहनों द्वारा दी गईं।
अखंड जाप: तृतीय दिवस पर सामायिक सहित अखंड जाप का क्रम रखा गया, जिसमें अनेक भाई-बहनों ने अपनी सहभागिता दर्ज करवाई।
तप प्रत्याख्यान: मुनि श्रेयांसकुमार ने 5 मुनि नमिकुमार जी ने 22 दिन, सुरेन्द्र कुमार भूरा ने 17 दिन, और कौशल्या देवी सांड ने 9 दिन की तपस्या का प्रत्याख्यान किया। पंचरंगी में सम्मिलित होने वाले अन्य अनेक भाई-बहनों ने नाना प्रकार की तपस्याओं का भी प्रत्याख्यान किया।मुनिश्री श्रेयांस कुमार जी और मुनि श्री मुकेश कुमार जी ने भी अपने मधुर गीतों से समां बांधा।
कार्यक्रम में जैन लूणकरण छाजेड़, जतन संचेती, जतन दुगड़ , राजेन्द्र सेठिया, नारायण चोपड़ा, रतन छलाणी, ललित राखेचा , किशन बैद, करणीदान रांका, प्रेम बोथरा, कनक गोलधा आदि ने अपने श्रद्धासिक्त भाव प्रस्तुत किये।

आचार्य तुलसी दीक्षा शताब्दी दिवस पर सामूहिक जाप, साध्वी जिनबाला जी ने दीक्षा को बताया ‘आत्म-अनुशासन’

भीनासर । युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी की सुशिष्या साध्वीश्री जिनबालाजी के सान्निध्य में मंगलवार को भीनासर के तेरापंथ सभा भवन में आचार्यश्री तुलसी का दीक्षा शताब्दी दिवस पूर्ण श्रद्धाभाव से मनाया गया। अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मण्डल के तत्वावधान में आयोजित इस कार्यक्रम में महिलाओं ने एक घंटे का सामूहिक जाप किया।

दीक्षा: आत्म-अनुशासन और नई खोज
साध्वीश्री जिनबालाजी ने केंद्र द्वारा निर्देशित विषय ‘आचार्य तुलसी दीक्षा शताब्दी तथा मुमुक्षा का महत्व’ पर प्रकाश डाला। उन्होंने आचार्यश्री तुलसी के वैराग्य काल की घटनाओं का वर्णन करते हुए बताया कि कई बार कुछ घटनाएं अंतःकरण में जागृति और संसार से विरक्ति के भाव पैदा कर देती हैं।
उन्होंने मुमुक्षा (मुक्ति की इच्छा) का अर्थ भोग से विरक्ति और त्याग से अनुरक्ति बताया।
साध्वी जी ने दीक्षा के महत्त्व को रेखांकित करते हुए फरमाया, “दीक्षा स्वयं पर स्वयं का अनुशासन है। अपना ज्ञान, अपना विज्ञान है। उजली चादर ओढऩे की तैयारी है। नई खोज के लिए मंगल प्रस्थान है, द्रष्टा बनने की पूर्व तैयारी है।”
उन्होंने कहा कि दीक्षा भीतर की अभूतपूर्व क्रांति और स्थायी सुरक्षा कवच का निर्माण है। जब भीतर में दीक्षा के प्रति आकर्षण पैदा होता है, तो पदार्थ के प्रति आसक्ति और परिवार के प्रति मोह स्वतः कम हो जाते हैं।
कार्यक्रम के दौरान साध्वीवृंद ने मिलकर सामूहिक गीत का गान किया और आचार्यश्री तुलसी को भावांजलि अर्पित की।

भीखाराम चान्दमल 15 अक्टूबर 2025
mmtc 2 oct 2025

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *