दीक्षार्थी हनुमानमल जी दूगड़ का अभिनंदन समारोह



बेंगलुरु, राजराजेश्वरी नगर, 19 सितम्बर । युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री पुण्ययशा जी के सान्निध्य में वरिष्ठ मुमुक्षु हनुमानमल जी दूगड़ (सरदारशहर, इरोड) का मंगल भावना समारोह राजराजेश्वरी नगर के तेरापंथ भवन में आयोजित किया गया। इस समारोह में उन्हें दीक्षा लेने की अनुमति मिलने पर अभिनंदन किया गया।
मोह और आत्मदृष्टि पर प्रवचन
समारोह में साध्वीश्री पुण्ययशा जी ने कहा कि मोह से ग्रसित व्यक्ति संसार को पार नहीं कर सकता। उन्होंने तीन दृष्टियों—जड़ दृष्टि, निमित्त दृष्टि और आत्म दृष्टि—का उल्लेख किया और समझाया कि केवल आत्मदृष्टि वाला व्यक्ति ही जीवन के लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है। उन्होंने कहा कि हनुमानमल जी भी इसी आत्मदृष्टि के साथ आगे बढ़े, पहले उपासक बने, फिर सुमंगल साधना स्वीकार की और अब चारित्र (संयम) के मार्ग पर बढ़ रहे हैं। साध्वीश्री ने उनके त्याग और वैराग्य की भावना की सराहना की और कामना की कि वे अपने लक्ष्य को प्राप्त करें।




संसार की सीमा करने का संकल्प
दीक्षार्थी हनुमानमल जी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि उन्होंने अपने जीवन का लक्ष्य संसार की सीमा करना बनाया है। उन्होंने बताया कि उपासक श्रेणी से जुड़ने के बाद उनका आध्यात्मिक विकास हुआ और धीरे-धीरे संयम का भाव पुष्ट होता गया। उन्होंने सूरत के चातुर्मास में गुरुदेव के सामने दीक्षा की भावना प्रकट की। गुरुदेव की कृपा से और कसौटी पर खरा उतरने के बाद उन्हें दीक्षा की अनुमति मिली।


इस समारोह में साध्वी वर्धमानयशा जी ने गीत के माध्यम से अपनी भावनाएं व्यक्त कीं। सभाध्यक्ष राकेश छाजेड़, सरदारशहर परिषद अध्यक्ष रणजीत बोथरा, श्रीमती वीणा भूतोड़िया (इरोड), और विमल सामसुखा ने भी अपने विचार साझा किए। श्रीमती कंचन देवी छाजेड़ ने दीक्षार्थी के आध्यात्मिक जीवन की जानकारी दी। समारोह का सफल संचालन गुलाब बाँठिया ने किया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में श्रावक-श्राविकाएं मौजूद थीं।