गंगाशहर में ‘ज्ञानशाला दिवस’ का आयोजन: अनुशासन और संस्कारों पर जोर



गंगाशहर, 10 अगस्त। उग्र विहारी तपोमूर्ति मुनि श्री कमल कुमार जी के सान्निध्य में आज रविवार को तेरापंथ भवन में ‘ज्ञानशाला दिवस’ का भव्य आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ ज्ञानार्थियों (विद्यार्थियों) द्वारा अर्हम वंदना से हुआ।
अनुशासन: जीवन में आगे बढ़ने की कुंजी
मुनि श्री कमल कुमार जी स्वामी ने अपने प्रेरक उद्बोधन में कहा कि ज्ञानशाला में बच्चों को अनुशासन का पाठ सिखाया जाता है। उन्होंने बताया कि बच्चों में पात्रता अनुशासन से उत्पन्न होती है, और जब पात्र अच्छा होता है तो ज्ञान सहजता से ग्रहण होता है। मुनि श्री ने इस बात पर जोर दिया कि जीवन में आगे बढ़ने के लिए अनुशासन अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने कहा कि ज्ञानशाला का मुख्य उद्देश्य बच्चों को संस्कारी और जिम्मेदार नागरिक बनाना है।
मुनि श्री ने यह भी बताया कि ज्ञानशाला में प्रशिक्षित बहनें बच्चों को जैन जीवन शैली, जैन तत्व ज्ञान और तेरापंथ दर्शन का प्राथमिक ज्ञान देकर उन्हें धार्मिक जीवन जीने की ओर उन्मुख करती हैं।
रोचक प्रस्तुतियां और नशा मुक्ति का संदेश
कार्यक्रम में बच्चों द्वारा गीतों की रोचक प्रस्तुतियाँ दी गईं। इन प्रस्तुतियों के माध्यम से बच्चों ने यह महत्वपूर्ण संदेश दिया कि हमें सातों दुर्व्यसनों से बचना चाहिए और नशीले पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए। प्रशिक्षिकाओं द्वारा “आओ हम ज्ञानशाला में पढ़ाएं” गीत की प्रस्तुति ने भी सबका मन मोह लिया।





सभा के मंत्री जतन लाल संचेती ने ज्ञानशाला को बच्चों के भविष्य निर्माण के लिए अत्यंत आवश्यक बताया और सभी अभिभावकों से अपने बच्चों को ज्ञानशाला भेजने का आह्वान किया। जय श्री भूरा ने कार्यक्रम का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया।
डॉक्यूमेंट्री फिल्म और सम्मान समारोह
ज्ञानशाला दिवस के अवसर पर एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म भी दिखाई गई, जिसमें तीर्थंकर मल्लिनाथ भगवान का पूर्व भव (पिछला जीवन) दर्शाया गया। इस मौके पर रुचि छाजेड़ को पूरे भारत में ‘श्रेष्ठ ज्ञानशाला प्रशिक्षण’ का पुरस्कार मिला था, जिसके लिए आज तेरापंथी सभा गंगाशहर द्वारा उनका अभिनंदन किया गया। महिला मंडल की अध्यक्ष श्रीमती प्रेम बोथरा और पूर्व अध्यक्ष संजु देवी लालाणी ने भी रुचि छाजेड़ को सम्मानित किया। तेरापंथ युवक परिषद के कार्यकर्ताओं ने संपूर्ण व्यवस्थाओं को सजगता से संपादित किया, जिससे कार्यक्रम सुचारू रूप से संपन्न हुआ। कार्यक्रम का सफल संचालन सरिता आंचलिया ने किया।


तपस्या प्रत्याख्यान
इस अवसर पर कई श्रावकों ने तपस्या के प्रत्याख्यान भी किए जिनमें सुश्राविका तारादेवी बैद ने 28 उपवास का, मुनि श्री नमि कुमार जी ने 19 उपवास का, सुरेन्द्र भुरा ने 10 उपवास का, अभय कुमार चोपड़ा ने 7 उपवास का प्रत्याख्यान किया। यह कार्यक्रम जैन समुदाय में धार्मिक शिक्षा, अनुशासन और संस्कारों के महत्व को रेखांकित करता है।