मुनि कमलकुमार के सानिध्य में उपासक-उपासिकाओं का सम्मान

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गंगाशहर, 9 सितंबर। उग्रविहारी तपोमूर्ति मुनिश्री कमलकुमार जी स्वामी के सानिध्य में एक कार्यक्रम का आयोजन हुआ, जिसमें उपासक और उपासिकाओं ने अपने अनुभव साझा किए। मुनिश्री ने कहा कि तेरापंथ समाज में इतने उपासकों का तैयार होना गुरुदेव तुलसी, आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी और आचार्य श्री महाश्रमण जी के प्रयासों का ही परिणाम है।
धर्म जागरण में उपासकों की भूमिका
मुनिश्री कमलकुमार ने कहा कि उपासक-उपासिकाएं उन क्षेत्रों में जाकर धर्म का प्रचार करते हैं, जहाँ साधु-साध्वी नहीं पहुँच पाते। वे लोगों को पर्युषण आराधना, उपवास, पौषध, सामायिक और जाप जैसे संस्कारों से जोड़ते हैं। उन्होंने जोर दिया कि अगर ये उपासक नहीं होते, तो कई श्रावक-श्राविकाएं इन धार्मिक क्रियाओं से वंचित रह जाते। उन्होंने सभी से अपनी आत्मसाधना जारी रखने और दूसरों की साधना में भी सहयोग करने का आग्रह किया।

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सफल उपासक और तपस्वियों का सम्मान
इस अवसर पर, उपासक राजेन्द्र सेठिया और उपासिकाओं श्रेया गुलगुलिया, कनक गोलछा, बुलबुल बुच्चा, रक्षा बोथरा, और लीला सिंघी ने अपने क्षेत्रों के अनुभव सुनाकर उपासक श्रेणी के महत्व को उजागर किया।

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हाल ही में हुई परीक्षा में उत्तीर्ण हुए सात नए उपासकों- धीरेन्द्र बोथरा, अनिल बैद, किरण लुणिया, मधु सेठिया, संतोष सिंघी, लीला सिंघी, और बेबी सेठिया का सम्मान किया गया। इसके अतिरिक्त, तपस्या के क्षेत्र में कौशल्या देवी सांड (7 उपवास), विनय चोपड़ा और सारिका चोपड़ा (जोड़े से 21 उपवास) और प्रियंका रांका (21 उपवास) का भी अनुमोदना की गयी । इस दौरान तारादेवी बैद की 58 दिनों की तपस्या-संथारा का भी उल्लेख किया गया।

 

 

 

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