पुण्य के लिए पुरुषार्थ करें- गणिवर्य मेहुल प्रभ सागर

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बीकानेर, 2 सितंबर। जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ के गणिवर्य मेहुल प्रभ सागर ने बीकानेर की ढढ्ढा कोटड़ी में मंगलवार को चातुर्मासिक प्रवचन दिए। उन्होंने कहा कि व्यक्ति को पुण्य संचय करना चाहिए और पापों का त्याग करना चाहिए। पुण्य के लिए किए गए पुरुषार्थ और पुण्यात्माओं का साथ व्यक्ति के जीवन में सुख, समृद्धि और ऐश्वर्य लाता है। इसके विपरीत, पापियों के साथ रहने से पुण्य कमजोर होता है और संकट आ सकते हैं।
गणिवर्य ने बताया कि पाप का फल अवश्य मिलता है। लोग हंसते-हंसते पाप कर्म करते हैं, लेकिन उन्हें रो-रोकर कष्ट भोगकर इसका भुगतान करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि पुण्य के उदय से व्यक्ति के चेहरे पर खुशी रहती है, जबकि पाप का उदय होते ही व्यक्ति की खुशी छिन जाती है।

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तपस्वियों का अभिनंदन
इस अवसर पर, आठ दिनों की तपस्या करने वाली तान्या कोठारी और रिंकू बोथरा का अभिनंदन किया गया। उन्हें मंजू धारिवाल, शर्मिला खजांची, खरतरगच्छ महिला परिषद की बीकानेर अध्यक्ष मनीषा खजांची और भावना बैद डागा ने सम्मानित किया।

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इसी तरह, आठ दिनों की तपस्या करने वाले रूपम राखेचा का वरघोड़ा (“खासोजी”) निकाला गया। इस दौरान श्रावक-श्राविकाओं ने जैन धर्म और तपस्वियों के जयकारे लगाए। रूपम राखेचा ने भगवान आदिनाथ, चिंतामणि और महावीरजी के मंदिरों में दर्शन किए। उनका अभिनंदन जैन श्वेताम्बर मूर्ति पूजक पार्श्वचन्द्र गच्छ संघ की ओर से किया गया।

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