मदुरै में मंत्र दीक्षा और संस्कार विषयक प्रवचन संपन्न- ‘संस्कारी पीढ़ी विकास की सीढ़ी

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मदुरै, 13 जुलाई । तेरापंथ भवन, मदुरै में मुनि श्री हिमांशु कुमार जी (ठाणा-2) के पावन सान्निध्य में दैनिक प्रवचन एवं मंत्र दीक्षा कार्यक्रम श्रद्धा और प्रेरणा के साथ संपन्न हुआ।
मंत्र दीक्षा कार्यक्रम
अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद (ABTYP) के निर्देशानुसार, मदुरै तेरापंथ युवक परिषद के तत्वावधान में आयोजित इस कार्यक्रम में श्रद्धालुजनों ने भाग लिया और नवकार महामंत्र साधना का संकल्प लिया। मुनि श्री हिमांशु कुमार जी के मार्गदर्शन में यह दीक्षा समारोह आत्मिक शांति एवं आत्मोन्नति की भावना से परिपूर्ण रहा।
प्रवचन – “संस्कारी पीढ़ी विकास की सीढ़ी”
मुनि श्री हेमंत कुमार जी ने अपने प्रवचन में कहा कि “भविष्य, वर्तमान का प्रतिबिंब है।” उन्होंने जोर दिया कि यदि आज की पीढ़ी संस्कारित होगी, तो ही वह जीवन में प्रगति और समृद्धि की ऊँचाइयाँ छू सकेगी। उन्होंने यह भी बताया कि आज की पीढ़ी अधिकांशतः निर्देशों का पालन तो करती है, परन्तु अपनी बुद्धि का स्वतंत्र प्रयोग कम करती है, जो समाज के लिए एक चुनौती है। मुनि श्री हिमांशु कुमार जी ने अपने प्रवचन में अभिभावकों को संबोधित करते हुए कहा: “यदि बच्चों को संस्कारित करना है, तो पहले हमें स्वयं को देखना होगा।” उन्होंने तीन प्रकार के माता-पिता की व्याख्या की: जन्मदाता: जो केवल जन्म देते हैं। जीवनदाता: जो बच्चों की परवरिश करते हैं। जीवन निर्माता: जो उनके जीवन को दिशा देते हैं। उन्होंने सभी अभिभावकों को “जीवन निर्माता” बनने का आग्रह किया, जिससे भावी पीढ़ी नैतिक, विवेकशील और संस्कारित बन सके।

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प्रशिक्षिकाओं का योगदान
संस्कार निर्माण की इस दिशा में ज्ञानशाला प्रशिक्षिकाओं ने भी निरंतर अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते हुए समाज को प्रेरित किया। मदुरै की प्रशिक्षिकाओं में बबीता लोढ़ा, लता कोठारी, मधु पारख, संतोष बोकड़िया, सुनिता कोठारी और दीपिका फुलफगर शामिल थीं।

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