पुष्कर में राष्ट्रीय शिक्षक संघ की भव्य कार्यशाला संपन्न


पुष्कर (अजमेर), 09 दिसम्बर । राजस्थान शिक्षक संघ राष्ट्रीय की ओर से पवित्र तीर्थराज पुष्कर में “हमारा विद्यालय – हमारा तीर्थ” विषय पर आयोजित राज्य स्तरीय कार्यशाला अत्यंत उत्साह और गरिमा के साथ संपन्न हुई। देश की सांस्कृतिक राजधानी माने जाने वाले पुष्कर में हुए इस आयोजन में राजस्थान के 41 जिलों से आए शिक्षकों ने प्रतिनिधित्व किया, जिसका मुख्य उद्देश्य विद्यालयों को केवल शिक्षण संस्थान नहीं, बल्कि चरित्र निर्माण और सामाजिक जागरूकता के केंद्र के रूप में स्थापित करना रहा।



प्रमुख वक्ताओं के विचारमहेंद्र कपूर (राष्ट्रीय संगठन मंत्री, अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ): उन्होंने कहा कि “शिक्षक समाज के सर्वाधिक सम्मानित स्तंभों में से एक हैं” और यदि शिक्षक संगठित हों तो शिक्षा व्यवस्था में सकारात्मक परिवर्तन संभव है। उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति, तकनीकी हस्तक्षेप और संगठन की भूमिका पर चर्चा की।



प्रोफेसर नारायण लाल गुप्ता (राष्ट्रीय अध्यक्ष, अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ): उन्होंने 21वीं सदी के विद्यार्थी कौशल, चुनौतियां और समाधान विषय पर बोलते हुए कहा कि राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया विद्यालय से ही प्रारंभ होती है। उन्होंने शिक्षकों से नई पीढ़ी में संस्कार, आत्मविश्वास और राष्ट्रभक्ति के मूल्यों को विकसित करने का आह्वान किया।
हनुमान सिंह (क्षेत्रीय कार्यकारिणी सदस्य, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ): उन्होंने कहा कि “विद्यालय की पवित्रता और उसकी आत्मा शिक्षक के चरित्र, व्यवहार और शिक्षण की निर्मलता में निहित होती है।” उन्होंने शिक्षकों से विद्यार्थियों के मन में समाज और राष्ट्र के प्रति कर्तव्यभाव जागृत करने की अपील की।
उमराव लाल वर्मा (क्षेत्र प्रमुख): उन्होंने कहा कि शिक्षक समाज का वास्तविक दिशा-दर्शक है, और विद्यालय की गरिमा तभी बढ़ती है जब शिक्षक अपनी भूमिका को राष्ट्रधर्म के रूप में स्वीकार करते हैं।
आगामी योजनाएँ और संकल्प
कार्यशाला के विभिन्न सत्रों में शिक्षकों ने अपने अनुभव साझा किए और जिलावार समूहों में विद्यालयों के बेहतर प्रबंधन, स्थानीय चुनौतियों और शिक्षा में नवाचार को लेकर योजनाएँ तैयार कीं। प्रदेश अध्यक्ष रमेश चंद्र पुष्करणा और प्रदेश महामंत्री महेन्द्र कुमार लखारा ने “हमारा विद्यालय – हमारा तीर्थ” अभियान को जिला स्तर पर गति देने की बात की। संगठन द्वारा आगामी महीनों में जिला एवं उपशाखा स्तर पर छोटे-छोटे प्रशिक्षण शिविर आयोजित किए जाएँगे तथा संस्कार-आधारित शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए विशेष पुस्तिकाएँ और प्रशिक्षण मॉड्यूल तैयार किए जाएँगे।
कार्यशाला में उपस्थित सभी शिक्षकों ने अपने-अपने विद्यालयों में बच्चों का सर्वांगीण विकास करते हुए इस अभियान को जन-जन तक पहुँचाने का संकल्प लिया।








