एनआरसीसी बीकानेर को मिला मेवाड़ी ऊँट नस्‍ल संरक्षण पुरस्‍कार

shreecreates
quicjZaps 15 sept 2025

बीकानेर, 24 दिसम्‍बर। भाकृअनुप-राष्‍ट्रीय उष्‍ट्र अनुसंधान केन्‍द्र, बीकानेर को राष्‍ट्रीय पशु आनुवंशिक संसाधन ब्‍यूरो (एनवीएजीआर) , करनाल में दिनांक 23 दिसम्‍बर 2024 को किसान दिवस के उपलक्ष्‍य पर आयोजित कार्यक्रम में मेवाड़ी ऊँट नस्‍ल के संरक्षण हेतु किए गए प्रयासों के आधार पर संस्‍थागत श्रेणी का द्वितीय पुरस्‍कार प्रदान किया गया । प्रतिवर्ष यह पुरस्कर पंजीकृत पशुओं के संरक्षण व रखरखाव में लगे हुए देश भर के पशुपालक एवं संस्‍थाओं को यह पुरस्‍कार प्रदान किया जाता है। यह पुरस्‍कार मुख्य अतिथि डॉ.ए.के.श्रीवास्‍तव, कुलपति, पंडित दीनदयाल उपाध्याय ,पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय, मथुरा एवं विशिष्‍ट अतिथि जगत हजारिका, मत्स्य पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय के सांख्यिकी सलाहकार के कर कमलों से केन्‍द्र निदेशक डॉ.आर.के.सावल एवं मेवाड़ी ऊँट नस्‍ल संरक्षण पुरस्‍कार के आवेदनकर्ता डॉ. वेद प्रकाश, वरिष्‍ठ वैज्ञानिक,पशु आनुवंशिकी एवं प्रजनन को प्रदान किया गया ।

indication
L.C.Baid Childrens Hospiatl
SETH TOLARAM BAFANA ACADMY

निदेशक डॉ. आर.के.सावल ने एनआरसीसी को मिले इस सम्‍मान पुरस्‍कार पर खुशी व्‍यक्‍त करते हुए वैज्ञानिकों, अधिकारियों एवं कर्मचारियों को बधाई संप्रेषित की तथा कहा कि एनआरसीसी को नस्‍ल संरक्षण पुरस्‍कार से नवाजा जाना यह इंगित करता है कि केन्‍द्र के वैज्ञानिक उष्‍ट्र संरक्षण व विकास संबंधी कार्यों में अथक रूप से प्रयासरत हैं। उन्‍होंने इस बात की आवश्‍यकता जताई कि ऊँटों की घटती संख्‍या खासकर संकटग्रस्‍त श्रेणी में आने वाली नस्‍लों के संरक्षण व विकास तथा इन्‍हें विलुप्‍त होने से बचाने हेतु गांव-गांव ढाणी-2 स्‍तर पर एनआरसीसी द्वारा अपनी परियोजनाओं के माध्‍यम से विशेष जागरूकता अभियान चलाए जाने की आवश्यकता हैं।

pop ronak
kaosa

केन्‍द्र की अनुवांशिक व प्रजनन इकाई के प्रभारी डॉ. वेद प्रकाश, वरिष्‍ठ वैज्ञानिक ने बताया कि पशु संसाधनों पर चल रही नेटवर्क परियोजना के अंतर्गत पंजीकृत किसान श्री भंवर लाल रायका, गांव कोयला, जिला बारां को मालवी ऊँट के संरक्षण के लिए व्‍यक्तिगत श्रेणी में प्रथम पुरस्‍कार से एनबीएजीआर द्वारा नवाजा गया ।

ज्ञातव्‍य हो कि ब्रीड वॉच लिस्‍ट 2022 के अनुसार मालवी तथा मेवाड़ी नस्‍लें संकटग्रस्‍त श्रेणी के रूप में दर्ज की गई है, अत: इनके संरक्षण के लिए एनआरसीसी व केन्‍द्र की नेटवर्क एवं अन्य परियोजनाओं में पंजीकृत पशुपालकों द्वारा सतत प्रयास किए जा रहे है।

 

mmtc 2 oct 2025

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *