गंगाशहर में तपस्या अनुमोदन समारोह: ‘तपस्या का लक्ष्य आत्म शुद्धि हो’ – मुनि कमल कुमार

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गंगाशहर, 8 अगस्त। गंगाशहर तेरापंथ भवन में उग्र विहारी तपोमूर्ति मुनिश्री कमल कुमार जी स्वामी के पावन सान्निध्य में तपस्वी पवन छाजेड़, अभिनव छाजेड़ और अरविंद भंसाली की तपस्या का अनुमोदन कार्यक्रम अत्यंत उल्लासमय वातावरण में आयोजित किया गया।
इस अवसर पर मुनिश्री कमल कुमार ने अपने विचार व्यक्त करते हुए फरमाया कि तपस्या कर्म निर्जरा और आत्म शुद्धि के लिए करनी चाहिए, जिससे स्वास्थ्य, विचार, व्यवहार, परिवार, कारोबार और सत्कार – इन सभी पहलुओं में नवीनता के दर्शन हों। तपस्या और त्याग की भावना- मुनिश्री ने पवन छाजेड़ की मासखमण तपस्या की विशेष सराहना की। उन्होंने बताया कि तेरापंथ सभा के उपाध्यक्ष पद पर पवन छाजेड़ अभी कार्यरत हैं, बड़े मनोबल और संकल्प बल से तपस्या की है। उन्हें उनकी माता किरण देवी और पत्नी बिंदु का महनीय सहयोग प्राप्त हुआ। इस अवसर पर उनके पुत्र कुलदीप ने भी तपस्या करने की भावना प्रकट की। मुनिश्री ने पवन के उत्साहवर्धन के लिए एक गीत का संगान भी किया। अभिनव छाजेड़ और अरविंद भंसाली ने अठाई की तपस्या का प्रत्याख्यान किया। इसके अतिरिक्त, तारा देवी बैद ने 26, हीरा देवी बाफना ने 9, और सुरेंद्र भूरा ने 8 की तपस्या का प्रत्याख्यान किया।

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रक्षाबंधन और साधु जीवन
मुनिश्री ने हाजरी के वाचन के पश्चात् रक्षाबंधन त्योहार की महत्ता बताते हुए एक रक्षाबंधन गीत का संगान किया। मुनि श्री श्रेयांश कुमार ने भी अपनी संसार पक्षीय सहोदरी साध्वी अनुशासन श्री जी के लिए रक्षाबंधन पर अपने भाव प्रकट किए।

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विशिष्ट तपस्वियों का अभिनंदन
मासखमण तपस्वी पवन के लिए साध्वी प्रमुखा जी का संदेश प्राप्त हुआ, जिसका वाचन सभा के मंत्री जतन लाल जी संचेती ने किया। सभा की तरफ से तपस्वी का अभिनंदन जैन लूणकरण छाजेड़ ने किया।पारिवारिक बहनों ने समूह गीत का संगान किया। साहित्य व संदेश भेंट जैन लूणकरण छाजेड़, अमर चन्द सोनी, जीवराज सामसुखा, गणेश मल बोथरा, शांति लाल पुगलिया, सुरेंद्र भूरा आदि कार्यकर्ताओं ने किया। गुरुदर्शन के लिए बीकानेर चौखले का संघ सामूहिक अर्ज के लिए जा रहा है, जिसकी सूचना गणेश बोथरा ने दी।
मुनि जीवन में तपस्या के नए कीर्तिमान
मुनिश्री कमल कुमार जी स्वामी ने यह भी बताया कि मुनि श्री श्रेयांश कुमार ने वर्षीतप के साथ धर्मचक्र और आज कंठी तप भी पूर्ण कर लिया है। इसके अतिरिक्त, मुनि नमि कुमार जी ने गंगाशहर आने के बाद 39, 22, 23 और 24 की तपस्याएँ की थीं, और आज उनकी 17की तपस्या है, जिससे उनकी 39 तक की तपस्या की लड़ी सानंद पूर्ण हो जाती है। चूंकि वे आगे और तपस्या करने का आग्रह कर रहे थे, इसलिए मुनिश्री कमल कुमार जी स्वामी ने आज उन्हें 18 की तपस्या का प्रत्याख्यान करवाया।

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