पल्लावरम में अठाई तप का प्रत्याख्यान

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मनोबली ही कर सकते तपस्या’ – मुनि दीपकुमार

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पल्लावरम, 15 जुलाई । तमिलनाडु के पल्लावरम क्षेत्र स्थित तेरापंथ भवन में युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी के सुशिष्य मुनिश्री दीपकुमारजी ठाणा-2 के सान्निध्य में हुए प्रवचन के दौरान दो तपस्वी बहनों ने अठाई तप (आठ दिन की तपस्या) का प्रत्याख्यान ग्रहण किया। मुनि दीपकुमार ने कहा कि मनोबली और संकल्पबली व्यक्ति ही तपस्या कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि दुनिया में अनेक प्रकार के उत्सव मनाए जाते हैं, पर तप का उत्सव जिनशासन में ही मनाया जाता है, जो कि निराला है। मुनि श्री ने कहा कि तप करना कठिन कार्य है, बड़े-बड़े लोग इससे घबराते हैं, क्योंकि खाना सबको अच्छा लगता है। उन्होंने श्रावण मास का उदाहरण देते हुए कहा कि जैसे सावन में वर्षा की झड़ी लगती है, वैसे ही तपस्या की भी झड़ी लगनी चाहिए। उन्होंने यह भी कामना की कि गुरु कृपा से यह उपक्रम बढ़ता जाए। मुनि श्री काव्यकुमार जी ने माया से बचकर सरल बनने का आह्वान किया।

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प्रत्याख्यान और अभिनंदन
मुनिश्री ने श्रीमती कृतिका सिसोदिया एवं श्रीमती विधि कटारिया को अठाई की तपस्या का प्रत्याख्यान कराया। तेरापंथी सभा की ओर से अध्यक्ष दिलीप भंसाली ने अभिनंदन पत्र भेंट किया। तपस्विनी बहनों के परिवार की ओर से मंजुबाई मूथा आदि बहनों ने गीत प्रस्तुत किया। श्रीमती प्रियंका कटारिया ने विचार व्यक्त किए और कटारिया परिवार की महिलाओं ने गीत का संगान किया।

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