कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री शिवराज पाटिल का निधन, 90 वर्ष की आयु में ली अंतिम साँस


लातूर (महाराष्ट्र), 12 दिसंबर। कांग्रेस के दिग्गज नेता, पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री और लोकसभा के पूर्व अध्यक्ष , अणुव्रत महासमिति के पूर्व अध्यक्ष शिवराज पाटिल का आज शुक्रवार को महाराष्ट्र के लातूर स्थित उनके निजी आवास ‘देवघर’ पर निधन हो गया। वह 90 वर्ष के थे और लंबे समय से उम्र संबंधी बीमारियों से जूझ रहे थे।पारिवारिक सूत्रों ने बताया कि उन्होंने सुबह लगभग 6:30 बजे अंतिम साँस ली। उनके परिवार में उनका बेटा शैलेश पाटिल, बहू अर्चना पाटिल (जो भाजपा नेता हैं) और दो पोतियाँ हैं। उनके परिवार में बेटा शैलेश पाटिल, बहू अर्चना और दो पोतियां हैं। उनकी बहू ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की टिकट पर लातूर शहर से कांग्रेस के अमित देशमुख के खिलाफ चुनाव लड़ा था लेकिन वह हार गयी थीं। उनका अंतिम संस्कार शनिवार को होने की संभावना है। परिवार के सूत्रों ने बताया कि पाटिल कुछ समय से बीमार थे और उन्होंने अपने आवास ‘देवघर’ पर ही अंतिम सांस ली। वह 90 वर्ष के थे।



लंबा और प्रतिष्ठित रहा राजनीतिक सफर
शिवराज पाटिल का सार्वजनिक जीवन में पाँच दशकों से अधिक का लंबा और प्रतिष्ठित करियर रहा। महाराष्ट्र के लातूर जिले के चाकुर गाँव में 12 अक्टूबर 1935 को जन्मे पाटिल ने अपनी राजनीतिक यात्रा की शुरुआत 1967 में की। उन्होंने लातूर नगर पालिका के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया और 1972 से 1979 तक महाराष्ट्र विधानसभा के सदस्य रहे, जहाँ वे विधानसभा के उपाध्यक्ष और अध्यक्ष जैसे महत्वपूर्ण पदों पर भी रहे। 1980 में उन्होंने राष्ट्रीय राजनीति में प्रवेश किया और लातूर लोकसभा सीट से सांसद चुने गए। वह लगातार सात बार (1980 से 1999 तक) लोकसभा के लिए चुने गए। केंद्र की राजनीति में उन्होंने कई प्रमुख पद संभाले:



- लोकसभा अध्यक्ष: 1991 से 1996 तक (10वें लोकसभा अध्यक्ष)
- केंद्रीय गृह मंत्री: 2004 से 2008 तक (यूपीए सरकार)
- केंद्रीय राज्य मंत्री: उन्होंने रक्षा, वाणिज्य, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, इलेक्ट्रॉनिक्स, अंतरिक्ष और परमाणु ऊर्जा जैसे कई महत्वपूर्ण विभागों में राज्य मंत्री के रूप में कार्य किया।
- राज्यपाल: 2010 से 2015 तक पंजाब के राज्यपाल और चंडीगढ़ के प्रशासक।
- आचार्य श्री तुलसी दवारा प्रतिपादित अणुव्रत आंदोलन से जुड़े रहे तथा तेरापंथ समाज ने प्रतिष्ठित अणुव्रत पुरस्कार से सम्मानित किया था।
26/11 मुंबई हमले के बाद दिया था इस्तीफा
शिवराज पाटिल 2004 से 2008 तक केंद्रीय गृह मंत्री रहे। 26/11 के मुंबई आतंकी हमलों के बाद सुरक्षा चूकों को लेकर व्यापक आलोचना होने पर उन्होंने नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए 30 नवंबर 2008 को अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। उन्हें एक सुसंस्कृत, विद्वान, सरल स्वभाव और नैतिक मूल्यों वाले नेता के रूप में जाना जाता था। उन्होंने अपने करियर में उत्कृष्ट सांसद पुरस्कार की शुरुआत करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
शोक की लहर: प्रधानमंत्री सहित कई नेताओं ने जताया दुख
वरिष्ठ नेता के निधन पर राजनीतिक जगत में शोक की लहर दौड़ गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पाटिल के निधन पर दुख व्यक्त करते हुए उन्हें एक अनुभवी नेता बताया जिन्होंने समाज कल्याण में योगदान देने के लिए जुनून से काम किया। कांग्रेस के एक नेता ने कहा कि पाटिल अपने गरिमापूर्ण आचरण के लिए पहचाने जाते थे और उन्होंने कभी सार्वजनिक भाषणों या निजी बातचीत में व्यक्तिगत हमले नहीं किए। पार्टी के नेता ने बताया कि पाटिल अपनी व्यापक विद्वत्ता, गहन अध्ययन और प्रभावशाली प्रस्तुति के लिए भी जाने जाते थे। मराठी, अंग्रेजी और हिंदी पर उनकी पकड़ और संवैधानिक मामलों की असाधारण समझ ने उन्हें अपने समय के एक बेहद सम्मानित सांसद के रूप में पहचान दिलायी।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने उन्हें “महान गरिमा वाला राजनेता” बताते हुए कहा कि उनका निधन पार्टी के लिए एक अपूरणीय क्षति है। विपक्ष के नेता और पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी उनके निधन को “अत्यंत हृदयविदारक” बताया और राष्ट्र के प्रति उनके समर्पण को हमेशा याद रखने की बात कही। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री अजित पवार सहित कई प्रमुख नेताओं ने भी उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री श्री शिवराज पाटिल के निधन पर राजस्थान के राज्यपाल हरिभाऊ बागडे ने गहरा शोक व्यक्त किया है।
राज्यपाल ने कहा कि स्व. पाटिल मिलनसार व्यक्तित्व के सुलझे हुए राजनीतिज्ञ थे। इनका निधन राजनीतिक क्षेत्र की अपूरणीय क्षति है। उन्होंने ईश्वर से पुण्यात्मा की शांति और परिजनों को यह दुख सहन करने की शक्ति प्रदान करने की कामना की है।
==================








