बस अग्निकांड में मृतकों की संख्या बढ़कर 26 हुई, तीन बच्चों को खो चुकी माँ ने भी तोड़ा दम



जैसलमेर , 22 अक्टूबर। जैसलमेर बस अग्निकांड में घायलों की मौत का सिलसिला थम नहीं रहा है। मंगलवार को जोधपुर के महात्मा गांधी अस्पताल में उपचार के दौरान लाठी गांव निवासी ओमप्रकाश की मौत हो गई, जिससे इस भीषण हादसे में मरने वालों की संख्या बढ़कर 26 हो गई है। अस्पताल अधीक्षक डॉ. फतेह सिंह भाटी ने बताया कि ओमप्रकाश को गंभीर रूप से झुलसने के कारण वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया था। वर्तमान में, छह घायल यात्रियों का इलाज जारी है, जिनमें से एक वेंटिलेटर पर है।




दुखद त्रासदी: तीन बच्चों को खो चुकी महिला इमामत की भी मौत



इस दर्दनाक हादसे की एक और हृदय विदारक खबर लाठी गांव से आई है। महिला यात्री इमामत ने भी इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। इमामत पहले ही इस हादसे में अपने तीन बच्चों को खो चुकी थीं। उनके पति को भी गंभीर हालत में अहमदाबाद रेफर किया गया है। परिवार पर इस त्रासदी का पहाड़ टूट पड़ा है। इससे पहले, 18 अक्टूबर को एयरफोर्स की परीक्षा देकर लौट रहे महिपाल सिंह ने भी अस्पताल में अंतिम सांस ली थी, जिनका दर्द से कराहते हुए मदद की गुहार लगाने का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था।
हादसा और बचाव कार्य का विवरण
यह भीषण हादसा 16 अक्टूबर की दोपहर को हुआ था, जब जैसलमेर जिले में चलती एसी बस में एसी यूनिट में शॉर्ट सर्किट के कारण अचानक आग लग गई। बस में करीब 45 से अधिक यात्री सवार थे। आग इतनी तेज़ी से फैली कि बस का गेट लॉक हो गया, जिससे कई यात्री बाहर नहीं निकल पाए और बस में ही जिंदा जल गए। दुर्घटनास्थल पर स्थानीय पत्रकार राजेंद्र सिंह चौहान सहित 20 से अधिक लोगों की मौके पर ही मौत हो गई थी, जबकि 19 गंभीर रूप से झुलसे यात्रियों को जोधपुर रेफर किया गया था।
मुख्यमंत्री ने किया था घटनास्थल का दौरा
हादसे की जानकारी मिलते ही मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा रात में ही जैसलमेर पहुंचे थे। उन्होंने घटनास्थल का निरीक्षण करने के बाद जोधपुर जाकर घायलों से मुलाकात की और अधिकारियों को बेहतर इलाज एवं सहायता सुनिश्चित करने के निर्देश दिए थे।
वायरल हुआ था मृतक महिपाल सिंह का वीडियो
हादसे के कुछ दिनों बाद 18 अक्तूबर को महिपाल सिंह ने भी जोधपुर अस्पताल में अंतिम सांस ली। वे 35 प्रतिशत तक झुलसे हुए थे और जैसलमेर से एयरफोर्स की परीक्षा देकर अपने गांव लौट रहे थे। हादसे के बाद महिपाल का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था, जिसमें वे दर्द से कराहते हुए मदद की गुहार लगाते नजर आ रहे थे।
प्रभावित परिवारों की कहानियां
इमामत का परिवार: तीन बच्चों के नुकसान के बाद मां का जाना पूरे परिवार पर विपदा बन गया। यह हादसा ग्रामीण परिवारों पर सबसे ज्यादा असर डाल रहा है।
स्थानीय पत्रकार राजेंद्र सिंह चौहान: मौके पर ही निधन; उनके भाई ने बस मालिक और ड्राइवर पर लापरवाही का केस दर्ज कराया।
अन्य पीड़ित: 10 वर्षीय यूनुस, 79 वर्षीय हुसैन खान, और कई अन्य, जिनकी पहचान डीएनए टेस्टिंग से हुई।
ताजा अपडेट्स
मृतकों की संख्या: अब तक 26 की पुष्टि हो चुकी है। 21-22 अक्टूबर को दो अतिरिक्त मौतें हुईं:
ओमप्रकाश (40 वर्ष, लाठी गांव): 21 अक्टूबर को जोधपुर के महात्मा गांधी अस्पताल (एमजीएच) में वेंटिलेटर पर इलाज के दौरान निधन। वे गंभीर झुलसने (लगभग 85% बर्न) से जूझ रहे थे।
इमामत (लाठी गांव): अपने तीन बच्चों (दो बेटे और एक बेटी) को पहले ही खो चुकी इमामत का भी 21 अक्टूबर को निधन। उनके पति अहमदाबाद के अस्पताल में गंभीर हालत में रेफर हैं। परिवार पर यह त्रासदी अब पूरी तरह टूट पड़ी है।
घायलों की स्थिति: 6 लोग बाकी इलाजरत हैं। इनमें 2 वेंटिलेटर पर हैं (जिनमें से एक, विशाखा, केवल 10% बर्न के बावजूद श्वसन तंत्र को गर्म धुएं से गंभीर नुकसान पहुंचा है)। शेष 4 सामान्य वार्ड में हैं। अस्पताल अधीक्षक डॉ. फतेह सिंह भाटी ने बताया कि स्थिति स्थिर है, लेकिन निगरानी जारी है।
जांच और कार्रवाई:
- बस मालिक तुराब अली और ड्राइवर शौकत को गिरफ्तार किया गया।
- बस को मॉडिफाई करने वाली कंपनी के मालिक मनीष जैन को 18 अक्टूबर को गिरफ्तार किया गया।
- एसआईटी (स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम) जांच जारी; प्रारंभिक रिपोर्ट में एसी यूनिट शॉर्ट सर्किट और बस बॉडी मानक (AIS 119) का उल्लंघन मुख्य कारण।
- दो डीटीओ अधिकारी निलंबित; राज्यव्यापी बस सुरक्षा जांच अभियान तेज।
सहायता: प्रत्येक मृतक परिवार को ₹4 लाख (राज्य + केंद्र) और घायलों को ₹50,000। 5-सदस्यीय उच्चस्तरीय समिति गठित।
सोशल मीडिया पर चर्चा: X (पूर्व ट्विटर) पर हालिया पोस्ट्स में परिवारों की गुहार वायरल, जैसे 80 वर्षीय पिता का वीडियो जो अपने बेटे को बचाने की अपील कर रहे हैं। एक पोस्ट में कहा गया, “माँ भी नहीं रही, दो बेटे और बेटी की मौत हो चुकी।” यह घटना दिवाली से पहले हुई, जिससे भावनात्मक प्रभाव और गहरा हो गया।
विश्लेषण: कारण, प्रभाव और सबक
यह हादसा राजस्थान के परिवहन क्षेत्र की गंभीर लापरवाहियों को दर्शाता है। आइए इसे तीन आयामों में समझें:
तकनीकी और सुरक्षा विफलताएं:
मुख्य कारण: बस नॉन-एसी रजिस्टर्ड थी, लेकिन अनधिकृत रूप से एसी में कन्वर्ट की गई। एसी यूनिट में शॉर्ट सर्किट से आग लगी, जो कुछ मिनटों में पूरे वाहन (57 यात्रियों सहित) को लपेट लिया। बस में केवल एक दरवाजा था, आपातकालीन एग्जिट (इमरजेंसी विंडो/डोर) का अभाव, और ज्वलनशील सामग्री (संभवतः ईंधन या मॉडिफिकेशन पार्ट्स) ने स्थिति भयावह बना दी।
डेटा तुलना: भारत में 2024-25 में 1,50,000+ सड़क हादसे हुए, जिनमें 50,000 मौतें। लेकिन अग्निकांड जैसे मामलों में 70% प्राइवेट वाहनों में सुरक्षा उल्लंघन पाया जाता है (NCRB रिपोर्ट)। यहां बस का पंजीकरण 1 अक्टूबर 2025 को चित्तौड़गढ़ RTO से हुआ, लेकिन फिटनेस सर्टिफिकेट में खामियां थीं।
संभावित जोखिम: पटाखों या अतिरिक्त सामान से आग तेज हुई, लेकिन मुख्य दोष मॉडिफिकेशन का।
प्रभाव और सबक
यह हादसा राजस्थान में सड़क सुरक्षा पर सवाल खड़े करता है, खासकर प्राइवेट बसों की मॉडिफिकेशन और इमरजेंसी एग्जिट पर। सरकार ने पूरे राज्य में बस चेकिंग तेज कर दी है।
थार एक्सप्रेस इस त्रासदी से गहरा दुख व्यक्त करता हूं। प्रभावित परिवारों के प्रति हमारी संवेदनाएं हैं, और घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करते हैं ।

