जन्म , विवाह , गृहप्रवेश , नामकरण संस्कार व अन्य शुभ प्रसंगों को जैन संस्कार विधि से मनाएं – साध्वी चरितार्थ प्रभा

shreecreates
quicjZaps 15 sept 2025
पर्युषण महापर्व के छठे दिन जप दिवस के रूप में मनाया गया

गंगाशहर , 6 सितम्बर। श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा गंगाशहर के तत्वावधान में तेरापंथ भवन गंगाशहर में युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री चरितार्थ प्रभा जी एवं साध्वी श्री प्रांजल प्रभा जी के सानिध्य में आज पर्युषण महापर्व के छठे दिन जप दिवस के रूप में मनाया गया |‌

indication
L.C.Baid Childrens Hospiatl

इस अवसर पर साध्वी श्री चरितार्थ प्रभा जी ने अपने मंगल उद्बोधन में भगवान महावीर के जन्म कल्याणक महोत्सव का महात्म्य बताते हुए कहाँ कि लोक में प्रकाश जब जब होता है जब तीर्थंकरों का (1)जन्म महोत्सव हो, (2)दीक्षा कल्याणक हो (3) कैवल्य ज्ञान का महोत्सव (4) तीर्थकरों का निर्वाण -मोक्ष को प्राप्त करे | पुरे जगत में अंधकारमय वातावरण तब बनता है जब तीर्थंकरों द्वारा भाषित धर्म का लोप हो, 14 पूर्वी ज्ञान लूप्त हो ,अग्नि समाप्त हो जाए, अंरिहत भगवान न हो, तब पुरे जगत में अंधकार हो जाता है।

pop ronak
kaosa

साध्वी श्री ने अपने प्रवचन में जनता को संबोधित करते हुए कहा कि थोड़ी उम्र मिले और वह सुख शांति से बीते तो सबसे अच्छा, लेकिन अधिक उम्र मिले और दुःख व दुर्भाग्य साथ रहे, कष्ट रहे ,बीमारियां रहे, तो अधिक उम्र मिलना भी कष्टकारी है।

 

भगवान महावीर के जन्म प्रसंग का वर्णन करते हुए कहा की जन्म के साथ ही दास प्रथा को समाप्त करने की दृष्टि से अपना प्रभाव दिखाना शुरू कर दिया। राजा सिद्धार्थ ने जन्म की सूचना के साथ ही दासीयों को दास्तत्व से मुक्त कर दिया व आभूषण उपहार में दिए। नामकरण प्रसंग का उल्लेख करते हुए कहा कि सभी क्षेत्रों में वृद्धि हुई है। इसलिए बालक का नाम वर्धमान रखा गया। साध्वी श्री जी ने परिवार के सभी मांगलिक अवसरों को जैन संस्कार विधि से मनाने की प्रेरणा दी।उन्होंने कहा की जन्म , विवाह , गृहप्रवेश , नामकरण संस्कार व अन्य शुभ प्रसंगों को जैन संस्कार विधि से मनाने की प्रेरणा दी।

जप दिवस के अवसर पर साध्वी श्री प्रांजल प्रभा जी ने कहा कि मरूदेवा माता सिद्ध बनने वाली प्रथम महिला थी। वंदना भावों से करनी चाहिए। कर्मों के बंधन ढिले करने के लिए हमें देव-गुरु के सामने कोमल हृदय से सच्चे मन से पवित्र भाव से वंदना करनी चाहिए।

महावीर प्रभु से गौतम स्वामी ने पूछा की वंदना करके क्या होता है? भगवान महावीर प्रभु ने कहा कि वंदना करने से नीच गोत्र का बंधन नहीं होता है और उच्च गोत्र का बंधन होता है। आठ कर्मों का क्षय हो सकता है। नारकी के बंधन से मुक्ति मिल सकती है। शुद्ध मन-वचन-काया से वंदना करने से सम्यक्तवी जीव वैमानिक देव बन जाता है। दुख और दुर्भाग्य से व्यक्ति डरता है इसके अलावा किसी से नहीं डरता ।

आज के मानव ने तो प्रायः पाप से डरना भी बंद कर दिया है । सरकार और कानून की तो बात भी क्या हो। अतः मानव को पाप से डरना चाहिए। दुख और दुर्भाग्य ना आए इसलिए जप-तप-ध्यान और स्वाध्याय के माध्यम से धर्म के मार्ग में आगे बढ़ना चाहिए।

इस अवसर पर साध्वी श्री रुचि प्रभाजी ने गीतिका प्रस्तुत की एवं आचार्य श्री भिक्षु व शोभ जी श्रावक की घटना का वर्णन करते हुए जप करने की प्रेरणा दी । आज अनेक तपस्वियों ने तेरापंथ भवन आकर अपनी – अपनी तपस्या का संकल्प साधिश्री जी से किया। उपस्थित सभी श्रावक समाज ने ॐ अर्हम की ध्वनि से तपोभिनन्दन किया।

भीखाराम चान्दमल 15 अक्टूबर 2025
mmtc 2 oct 2025

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *