वयोवृद्धा शासनश्री साध्वी ज्ञानवती जी को श्रद्धांजलि, गंगाशहर में गुणानुवाद सभा आयोजित


- ज्ञानवती जी शांतिनिकेतन सेवा केंद्र की मार्गनिर्देशिका थी – छाजेड़
गंगाशहर, 08 दिसंबर: तेरापंथ धर्म संघ की वयोवृद्धा शासनश्री साध्वी श्री ज्ञानवती जी के देवलोकगमन के उपलक्ष्य में आज गंगाशहर स्थित शांतिनिकेतन सेवा केंद्र में एक गुणानुवाद सभा का आयोजन किया गया। पूज्य युग प्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी के आज्ञानुवर्ती उग्र विहारी तपोमूर्ति मुनि श्री कमल कुमार जी और शासन श्री साध्वी श्री साध्वी श्री विशदप्रज्ञा जी व साध्वी श्री लब्धियशा जी के सान्निध्य में यह सभा संपन्न हुई, जिसमें समाज के अनेक गणमान्य व्यक्तियों ने दिवंगत साध्वी को श्रद्धा सुमन अर्पित किए।



68 वर्षों का संयममय जीवन
ज्ञात हो कि शासनश्री साध्वी श्री ज्ञानवती जी का कल, 07 दिसंबर को 89 वर्ष की अवस्था में देवलोकगमन हो गया था। उन्होंने वर्ष 1958 में 03 फरवरी को आचार्य श्री तुलसी से संयम जीवन अंगीकार किया था और अपने जीवन के 68 वर्ष साध्वी जीवन के रूप में पूर्ण किए। इस अवधि में उन्होंने तीन आचार्यों और तीन साध्वी प्रमुखाओं के शासन काल को देखा और सभी से आदर प्राप्त किया।



गुणानुवाद एवं श्रद्धा सुमन
सभा को संबोधित करते हुए मुनि श्री कमल कुमार जी स्वामी ने साध्वी श्री ज्ञानवती जी को आगमज्ञ, तत्वज्ञ और समयज्ञ बताते हुए कहा कि उन्होंने अपने दीर्घकालीन संयम जीवन को समता, सहिष्णुता, स्वाध्याय और ध्यान से सफल बनाया। उन्होंने साध्वी जी के भावों की निर्मलता और व्यवहार में निश्चलता का स्मरण किया, जिसके कारण सबके साथ उनका अपनत्व भाव था। उन्होंने कामना की कि उनकी आत्मा उत्तरोत्तर विकास करती हुई चरम लक्ष्य को प्राप्त करे।

सेवा केंद्र व्यवस्थापिका साध्वी श्री विशदप्रज्ञा जी ने अपने विचार रखते हुए कहा कि आत्मा की अनन्तकालीन यात्रा में संयम के 68 वर्ष अत्यंत महत्वपूर्ण होते हैं। उन्होंने साध्वी जी की वृत्तियों में दिन-प्रतिदिन के रूपांतरण और प्राणी मात्र के प्रति आत्मीयता, वात्सल्य तथा करुणा के भावों का उल्लेख किया और उनकी आत्मा के ऊर्ध्वारोहण की कामना की।
साध्वी श्री लब्धियशा जी ने साध्वी श्री ज्ञानवती जी के जीवन को प्रेरणादायी बताया और कहा कि वे ‘यथा नाम तथा गुण’ की प्रतिमूर्ति थीं। उन्होंने उनकी सरलता, स्पष्टवादिता और सहजता को रेखांकित करते हुए कहा कि उनके मुखारविंद से निकला हर शब्द सिद्ध हो जाता था। सेवा केंद्र में उनका स्थान सर्वप्रथम था और उन्होंने अपने वात्सल्य से सबके दिलों में माता का स्थान बनाया था। मुनि श्री श्रेयांस कुमार जी ने मुक्तकों के माध्यम से अपनी भावनाओं को व्यक्त किया।
उपयोगिता और ज्ञान का भंडार
साध्वी श्री जिनबाला जी ने वस्तु और व्यक्ति की उपयोगिता के संदर्भ में कहा कि जो व्यक्ति अंतिम समय तक अपनी उपयोगिता बनाए रखते हैं, वे आदरणीय होते हैं। उन्होंने साध्वी श्री ज्ञानवती जी के विषय में कहा कि उन्होंने अपनी उपयोगिता अंत समय तक कम नहीं होने दी और वे सलाह की मास्टर माइंड व ज्ञान का भंडार थीं।
साध्वी श्री विधिप्रभा जी ने बताया कि तेरापंथ समाज में ज्ञानवती जी को प्रेम से ‘माता जी’ के नाम से जाना जाता था, और उनसे माँ के समान स्नेह मिलता था। उन्होंने उनके धीरता और गंभीरता के बेजोड़ गुण को अनुकरणीय बताया। अन्य साध्वियों, जिनमें साध्वी श्री शीतलरेखा जी ने उन्हें आचारनिष्ठ, संघनिष्ठ, गुरूनिष्ठ बताया, तथा साध्वी श्री कंचनबाला जी व साध्वी श्री कौशलप्रभा जी ने भी अपने ज्ञानवर्धक अनुभवों और उनके विशिष्ट गुणों (प्रमोद भावना, वात्सल्य) को साझा किया।

तेरापंथ न्यास से जैन लूणकरण छाजेड़ ने श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि शांतिनिकेतन सेवा केन्डर की प्रथम सेवगृहिता साध्वी ज्ञानवती जी थी। वो इस केन्डर की मार्गदर्शिका थी जो भी सेवा देने वाला ग्रुप पहुंचता वह सबसे पहले साध्वी ज्ञानवती जी संपर्क करके आशीर्वाद लेकर अपना दायित्व प्रारम्भ करते आये हैं। छाजेड़ ने कहा कि तेरापंथी सभा की टीम व मंत्री जतनलाल संचेती की कर्मठता व सक्रियता के कारण ही 3 घण्टों में प्रयाण यात्रा से लेकर अंतिम संस्कार तक कार्य सफलता से करके उदाहरण प्रस्तुत किया। कल सायं गाजे बाजे के साथ उनका अंतिम संस्कार पुरानी लेन स्थित ओसवाल शमशान गृह में जैन संस्कार विधि से किया गया।

गुणानुवाद सभा में संसारपक्षीय परिवार से श्वेता महनोत ने अपने विचार व्यक्त किये।जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा से पवन छाजेड़, महिला मंडल से संजू लालाणी, तेयुप से रोहित बैद, शान्तिप्रतिष्ठान से किशन बैद, अणुव्रत समिति से एवं राखी चोरडिया आदि कार्यकर्ताओं ने अपने भावो से श्रद्धा सुमन अर्पित किये।
लाडनूं से समागत उनके नातीले राजेश खटेड़ ने बताया कि ज्ञानवतीजी कहा करते थे कि संसार पक्षीय नन्दोई बच्छराज जी खटेड़ के कारण ही मैने दीक्षा ली थी। उस समय मेरे कभी कोई समस्या आती तो वो ही हल खोजते थे उनके परिवार ने भी मेरी बहुत सेवा की। गुणानुवाद सभा में अनेक श्रद्धालुगण शामिल हए।








