भवानीशंकर व्यास ‘विनोद’ को जोधपुर और बीकानेर के साहित्यकारों की ओर से श्रद्धांजलि


जोधपुर, 10 दिसंबर। राजस्थानी, हिन्दी और अंग्रेजी के ख्यातनाम साहित्यकार, शिविरा पत्रिका के पूर्व संपादक एवं कीर्तिशेष भवानीशंकर व्यास ‘विनोद’ को बीकानेर एवं जोधपुर के साहित्यकारों ने बुधवार को उनके जोधपुर स्थित आवास पर पहुंचकर श्रद्धांजलि अर्पित की। साहित्य जगत ने उनके निधन को एक अपूरणीय क्षति बताया है।
शोक संवेदनाएं
उपस्थिति: शोक संवेदनाएं प्रकट करने के लिए साहित्य अकादेमी, नई दिल्ली से पुरस्कृत वरिष्ठ साहित्यकार द्वय बुलाकी शर्मा और मीठेश निर्मोही, राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के पूर्व सचिव पृथ्वीराज रतनू, जयनारायण विश्वविद्यालय के राजस्थानी विभाग के अध्यक्ष एवं साहित्य अकादेमी से पुरस्कृत कवि डॉ. गजेसिंह राजपुरोहित उपस्थित रहे।



बीकानेर से: बीकानेर के वरिष्ठ साहित्यकारों में राजाराम स्वर्णकार, अशफ़ाक़ कादरी, डॉ. अजय जोशी, गोविंद जोशी और प्रकाशदान चारण ने भी पहुंचकर कीर्तिशेष व्यास जी की धर्मपत्नी एवं राजस्थानी साहित्यकार श्रीमती आनंद कौर व्यास से मुलाकात की।




साहित्य जगत में व्यास जी का अवदान
इस अवसर पर साहित्यकारों ने भवानी शंकर व्यास ‘विनोद’ के साहित्यिक योगदान को याद किया:
तीन पीढ़ियों का मार्गदर्शन: व्यास जी ने अपने जीवन में साहित्य सृजन के साथ-साथ साहित्यकारों की तीन पीढ़ियों को संस्कारित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
विशाल लेखन कार्य: उन्होंने लगभग एक सौ पैंतीस पुस्तकों की भूमिकाएं लिखीं, जो उनके व्यापक प्रभाव को दर्शाता है।
‘शिविरा’ संपादन: शिक्षा विभाग से प्रकाशित होने वाली प्रतिष्ठित ‘शिविरा’ पत्रिका का उन्होंने वर्षों तक संपादन किया। उनके द्वारा शिविरा में लिखे गए संपादकीय आज भी साहित्य और शिक्षा जगत में सराहे जाते हैं।
इस अवसर पर उनकी सुपुत्री एवं साहित्यकार डॉ. सुमन बिस्सा ने बताया कि उनके पिता अपनी आत्मकथा लिख गए हैं, जिसे शीघ्र ही प्रकाशित कराया जाएगा।








