हनुमानगढ़ में एथेनॉल फैक्ट्री विरोध हिंसक: पुलिस ने दागे गोले, कई घायल, इंटरनेट बंद

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quicjZaps 15 sept 2025

हनुमानगढ़, 11 दिसंबर। राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले में ड्यून एथेनॉल प्राइवेट लिमिटेड फैक्ट्री के विरोध में किसानों का आंदोलन हिंसक हो गया है। बुधवार (10 दिसंबर) को किसानों द्वारा राठीखेड़ा गांव में निर्माणाधीन फैक्ट्री की दीवार ट्रैक्टरों से तोड़ने और अंदर घुसकर ऑफिस में आगजनी करने के बाद तनाव चरम पर पहुंच गया। हालात बेकाबू होने पर पुलिस को उपद्रवियों को नियंत्रित करने के लिए लाठीचार्ज करना पड़ा और आंसू गैस के गोले छोड़ने पड़े।  घटना में कांग्रेस विधायक अभिमन्यु पूनिया सहित 70 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं, जबकि 36 से अधिक पुलिसकर्मी और बॉर्डर होमगार्ड जवान भी चोटिल हुए हैं। इनमें पांच पुलिसकर्मियों को गंभीर चोटें आई हैं। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए जिले के टिब्बी क्षेत्र में इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई हैं और पूरे क्षेत्र में भारी पुलिस बल तैनात किया गया है। सुरक्षा के मद्देनजर स्कूल और कॉलेज भी बंद कर दिए गए हैं। आगजनी और तोड़फोड़ के डर से फैक्ट्री के आसपास रहने वाले करीब 30 परिवार घर छोड़कर भाग गए हैं।
पुलिस कार्रवाई और विधायक की हिरासत
हिंसा के बाद, पुलिस ने उपद्रव में शामिल 107 से अधिक किसानों व ग्रामीणों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है और इनमें से 40 लोगों को हिरासत में लिया गया है। एडीजी वीके सिंह ने बयान दिया कि 10 दिसंबर को सब शांति से चल रहा था, लेकिन बाहरी लोगों ने इस उपद्रव को भड़काया। उन्होंने कहा कि कई लोग कैमरे में पत्थर फेंकते हुए और कानून तोड़ते हुए कैद हुए हैं। एडीजी ने पुलिस द्वारा फायरिंग किए जाने से इनकार किया।

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आज (गुरुवार) को क्षेत्र में तनाव जारी रहा। टिब्बी के गुरुद्वारा सिंह सभा में किसानों की सभा आयोजित हुई, जिसमें महिलाएं भी शामिल थीं। सभा में शामिल होने जा रहे कांग्रेस कार्यकर्ताओं को पुलिस ने पहले ही रोक लिया, और विधायक रुपिंदर सिंह कुन्नर को भी पुलिस ने हिरासत में ले लिया। किसानों ने चेतावनी दी है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होंगी, आंदोलन जारी रहेगा।
हिंसा का कारण: पर्यावरण और खेती पर प्रभाव का डर
हनुमानगढ़ में हिंसा का केंद्र बनी यह फैक्ट्री चंडीगढ़ में रजिस्टर्ड ड्यून एथेनॉल प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की है, जो राठीखेड़ा के पास 40 मेगावाट का अनाज आधारित एथेनॉल प्लांट लगा रही है। इस परियोजना की लागत 450 करोड़ रुपये है। किसान और स्थानीय निवासी इस प्लांट का विरोध इसलिए कर रहे हैं क्योंकि उनका मानना है कि इससे पर्यावरण पर बुरा असर पड़ेगा, उनकी खेती प्रभावित होगी और पैदावार कम हो जाएगी। किसान इन मुद्दों को लेकर पिछले साल सितंबर 2024 से लगभग 10 माह तक शांतिपूर्ण तरीके से आंदोलन कर रहे थे। हालांकि, जुलाई 2025 में कंपनी द्वारा बाउंड्री वॉल का निर्माण शुरू होने से उनका गुस्सा भड़का। 19 नवंबर 2025 को पुलिस सुरक्षा में निर्माण कार्य फिर से शुरू हुआ, जिसके बाद किसान नेता महंगा सिंह समेत 12 से अधिक किसान नेताओं की गिरफ्तारी हुई।

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उग्र विरोध और आगजनी
बुधवार (10 दिसंबर) को किसानों ने टिब्बी एसडीएम ऑफिस के सामने बड़ी सभा की और जब उनकी मांगें पूरी नहीं हुईं तो शाम करीब 4 बजे सैकड़ों किसान ट्रैक्टर लेकर फैक्ट्री साइट पर पहुंच गए। यहां किसानों और पुलिस के बीच झड़प हुई, जिसके बाद किसानों ने ट्रैक्टरों से फैक्ट्री की दीवार तोड़ दी, अंदर घुसकर ऑफिस में आग लगा दी और जमकर पत्थरबाजी की। हालात पर काबू पाने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज किया और आंसू गैस के गोले दागे। इस दौरान किसानों ने मौके पर खड़ी करीब 14 गाड़ियों को भी आग के हवाले कर दिया था।

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