राष्ट्रीय कवि चौपाल को पुष्पित एवं पल्लवित करने वाले बाग़बां थे नेमचंद गहलोत


अवसर देते थे नेम जी, नव उभरते साहित्यकार को, राष्ट्रीय परचम लहराएं.. मानो चौपाल के चमत्कार को…




बीकानेर ,11 अप्रैल। चौपाल की 515वीं कड़ी राष्ट्रीय कवि चौपाल के संस्थापक, कालजयी साहित्य वृंद श्री नेमचंद गहलोत को समर्पित रही ..। कार्यक्रम आरम्भ “हे नियति नियंता विश्वेश्वर, हे परम पिता परमेश्वर…” दिवंगत दिव्यात्मा के ईश प्रार्थना से साधक ने किया। संस्थापक सदस्यों में वरिष्ठ रंगकर्मी बी. एल. नवीन, वरिष्ठ शाइर क़ासिम बीकानेरी, हास्य कवि बाबू बमचकरी के सानिध्य में उपस्थित कवि वृंद ने साहित्य स्नेहिल नेमचंद गहलोत को अपने काव्य-श्रद्धा सुमन अर्पण किए, बी. एल. नवीन ने कहा कि वे सभी रचनाकारो एवं कलाकारों को अवसर देते थे। नव उभरते साहित्यकारों को राष्ट्रीय कवि चौपाल के माध्यम से मंच देकर प्रोत्साहित करते थे।


शाइर क़ासिम बीकानेरी ने कहा कि वे राष्ट्रीय कवि चौपाल काव्य गुलशन के एक ऐसे बाग़बां थे जिन्होंने तन, मन, धन से राष्ट्रीय कवि चौपाल के गुलशन को पुष्पित एवं पल्लवित किया। बाबू बमचकरी ने कहा कि वे सेवा और साहित्य के पक्के सेवादार थे। अपने को शून्य मानकर श्रेष्ठ कार्य के शिल्पकार थे…शिव प्रकाश दाधीच ने जीव आते हैं जाते हैं पर कुछ व्यक्तित्व कृतित्व से हृदय में समा जाते हैं .. कैलाश टाक ने चाहे वे बड़े कवि शायर साहित्यकार हैं, इन सभी की राष्ट्रीय कवि चौपाल बुनियाद है…
रामेश्वर साधक ने निश्छल कर्मठ सेवाधारी थे..उनकी उदार वृत्ति-कृति विशाल थी।राष्ट्रीय कवि चौपाल के संरक्षक थे…. नहीं सानी,श्री नेमीचंद जी सी साहित्य अनुराग की।। लीलाधर सोनी ने तन से नहीं, पर सेवा से, प्रेम से, दिल में बसे। गहलोत जी अमर है अमर रहेंगे… विप्लव व्यास ने उदात्त वृत्ति उद्धार कृति गहलोत साहब सी न देखी कहीं… राजकुमार ग्रोवर ने हमने देखें बहुत ही लोग बहुत ही देखा पैसा..मगर नहीं देखा दुनिया में बंदा नेमीचंद गहलोत जैसा … डॉ कृष्ण लाल विश्नोई ने जिंदगी बना तो ऐसा बना जिंदा रहे दिलशाद तूं जिंदगी रहे न रहे फिर भी रहे याद तूं ,…श्रीमती कृष्णा वर्मा ने थम गया सफर साहित्य अनुरागी का, लगाई चौपाल बीकानेर के लाडले ने..
मौहम्मद शकील गौरी ने नेक दिल सादा तबियत और हर दिल अजीज, हिंदू मुस्लिम सभी रहते इनके करीब। श्री मती मधुरिमा सिंह ने नेम जी पर लक्ष्मी की कृपा थी मां सरस्वती की अनुकंपा थी … सिराजुद्दीन भुट्टा ने तेरी सूरत सीरत से नहीं मिलती किसी की.. परमेश्वर सोनी ने कहा कि उम्र पचहत्तर की दिल बचपन सा, प्रत्येक से जुड़ता मन साहित्य सृजन सा।
कार्यक्रम में एडवोकेट स़ंतनाथ, राजू लखोटिया, भवानी सिंह चारण, धर्मेंद्र राठौड़, हनुमान कच्छावा, गोपाल चौधरी, उमा शर्मा आदि कई गणमान्य साहित्यानुरागी उपस्थित रहे कार्यक्रम का संचालन रामेश्वर साधक ने किया कार्यक्रम के अंत में राष्ट्रीय कवि चौपाल के संस्थापक संरक्षक श्री नेमीचंद जी गहलोत साहब को दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि अर्पित की।