धरोहर और ध्यान का मिलन- जूनागढ़ की प्राचीरों के बीच सामूहिक योग से सजी सुबह


- राजसी वातावरण में योग का संगम- जूनागढ़ में हुआ भव्य योग शिविर
बीकानेर , 17 जून । जूनागढ़ किले के प्रांगण में मंगलवार को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की पूर्व तैयारियों के तहत महर्षि पतंजलि योग संस्थान एवं अखिल विश्व गायत्री परिवार के संयुक्त तत्वावधान में एक विशाल योग शिविर का आयोजन हुआ, जिसने न केवल लोगों को योगाभ्यास से जोड़ने का कार्य किया, बल्कि प्राचीन किलों में योग की परंपरा को पुनर्जीवित कर सांस्कृतिक चेतना को प्रबल किया।




योग गुरू दीपक शर्मा एवं अखिल विश्व गायत्री परिवार से देवेन्द्र सारस्वत के निर्देशन में हुए इस योग शिविर में सैंकड़ों योग साधक ताड़ासन, वृक्षासन एवं प्राणायाम जैसी मुद्राओं में लीन दिखे, तो जूनागढ़ का ऐतिहासिक परिवेश आध्यात्मिक ऊर्जा से गुंजायमान हो उठा। योग गुरू शर्मा ने कहा कि जूनागढ़ जैसी ऐतिहासिक स्थल पर योग करना धरोहर और ध्यान का मिलन है। यह हमें हमारी जड़ों से जोड़ता है। उन्होंने कहा कि योग केवल शरीर को मोड़ने की कला नहीं, बल्कि आत्मा को जोड़ने की साधना है।


वरिष्ठ योगाचार्य देवेन्द्र सारस्वत ने कहा कि हम मंत्रों से ईश्वर को भाव से साधते हैं, वैसे ही योग हमें हमारी आत्मा से जोड़ता है। ताईक्वांडो कोच धनंजय सारस्वत ने बताया कि ताईक्वांडो में जो मानसिक एकाग्रता, सांस नियंत्रण और शारीरिक संतुलन चाहिए, वह सब नियमित योग से ही संभव है।
धनश्याम कुचेरिया ने कहा कि ऐसे आयोजन हमारी सांस्कृतिक पहचान को मजबूत करते हैं और भावी पीढ़ियों को प्राकृतिक स्वास्थ्य परंपराओं से जोड़ते हैं। प्रेमशंकर व्यास ने सभी का आभार प्रकट किया। कार्यक्रम में फिजियोथैरेपिस्ट डाॅ. अमित पुरोहित, धनंजय सारस्वत, हिमांशु सारस्वत, ईशा शर्मा, शोभा सारस्वत, योग शिक्षक किशन शर्मा, हेमंत वर्मा, मोहित राजपुरोहित, चित्रांश मोदी, शुभांगी सुथार, मनाली टेकचंदानी, विक्रम भाटी के साथ ही बड़ी संख्या में युवाओं का सहयोग रहा।