राजस्थान में आरजीएचएस सेवाओं पर संकट: 25 अगस्त से हड़ताल की चेतावनी

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जयपुर, 22 अगस्त – राजस्थान में स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र एक बड़े संकट का सामना कर रहा है। राज्य के निजी अस्पतालों ने चेतावनी दी है कि यदि आरजीएचएस (Rajasthan Global Health Security) योजना के तहत लंबित भुगतानों और बिलों में कटौती की समस्याओं का समाधान नहीं किया गया, तो 25 अगस्त से सभी सेवाएं बंद कर दी जाएंगी। इस निर्णय से लगभग 700 निजी अस्पताल और फार्मा स्टोर प्रभावित होंगे, जो सरकारी कर्मचारियों और अन्य लाभार्थियों को स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करते हैं।

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समस्याओं का विवरण

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राजस्थान एलायंस ऑफ ऑल हॉस्पिटल एसोसिएशन का कहना है कि आरजीएचएस के तहत लगातार हो रही देरी और बिलों में मनमानी कटौती ने उनके लिए वित्तीय संकट खड़ा कर दिया है। एसोसिएशन ने बताया कि इस संबंध में स्वास्थ्य विभाग को कई बार शिकायतें भेजी गईं, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। एसोसिएशन के अध्यक्ष ने स्पष्ट कर दिया है कि अगर 25 अगस्त तक उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया, तो इनडोर पेशेंट डिपार्टमेंट (आईपीडी), आउटडोर पेशेंट डिपार्टमेंट (ओपीडी) और दवाओं की आपूर्ति सहित आरजीएचएस के तहत आने वाली सभी सेवाएं रोक दी जाएंगी।

पहले भी टल चुका है यह कदम

यह पहली बार नहीं है जब निजी अस्पतालों ने ऐसा कदम उठाने की चेतावनी दी है। इससे पहले, जुलाई में भी इसी तरह की स्थिति बनी थी। हालांकि, 14 जुलाई को स्वास्थ्य विभाग की प्रमुख शासन सचिव के साथ हुई बातचीत के बाद, अस्पतालों ने अपनी हड़ताल को टाल दिया था। चूंकि उन वार्ताओं के बाद कोई स्थायी समाधान नहीं निकला, इसलिए अब वे फिर से यह गंभीर कदम उठाने की तैयारी में हैं।

मरीजों और सरकार पर सीधा असर

अगर यह हड़ताल होती है, तो इसका सीधा असर सरकारी कर्मचारियों और आरजीएचएस के तहत इलाज कराने वाले अन्य मरीजों पर पड़ेगा। उन्हें अस्पतालों में इलाज और दवाओं के लिए परेशानी का सामना करना पड़ेगा। इसके अलावा, छोटे अस्पताल और फार्मा स्टोर संचालक भी वित्तीय दबाव में आ जाएंगे, जिससे उनके संचालन पर संकट गहरा सकता है।

यह स्थिति राजस्थान सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती है। स्वास्थ्य विभाग पर अब निजी अस्पताल संचालकों की मांगों पर तत्काल ध्यान देने और भुगतान प्रक्रिया को सुचारू बनाने का दबाव बढ़ गया है, ताकि स्वास्थ्य सेवाओं में कोई बड़ी रुकावट न आए और आम जनता को असुविधा का सामना न करना पड़े।

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