पर्युषण पर्व में सामायिक दिवस पर मुनिश्री कमल कुमारजी का विशेष प्रवचन

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बीकानेर, 22 अगस्त। पर्युषण पर्व के तीसरे दिन, तेरापंथ धर्मसंघ में ‘ अभिनव सामायिक दिवस’ मनाया गया। इस अवसर पर तपोमूर्ति मुनिश्री कमल कुमारजी ने मर्यादावली का वाचन किया और सामायिक के महत्व पर प्रकाश डाला। सामायिक की महत्ता: मुनिश्री ने फरमाया कि सामायिक श्रावक का नौवां व्रत है। यह 48 मिनट का एक अभ्यास है, जिसका उद्देश्य व्यक्ति को कुछ समय के लिए सभी पाप कार्यों से दूर रखना है। यह व्रत दिन या रात में, उपवास के दौरान, या किसी भी समय किया जा सकता है। अभिनव सामायिक: मुनिश्री ने आचार्य तुलसी द्वारा दिए गए ‘अभिनव सामायिक’ का उल्लेख किया, जो इस प्राचीन प्रथा का एक प्रायोगिक रूप है। आज इस अभिनव सामायिक का विशेष क्रम रखा गया, जिसमें हजारों लोगों ने भाग लिया।

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घर-घर सामायिक का आह्वान: मुनिश्री ने अपील की कि हर घर में सामायिक की लड़ी बनाकर परिवार के हर सदस्य को इसका हिस्सा बनाया जाए, ताकि वे पाप कर्मों से बच सकें। इस मौके पर उन्होंने सामायिक पर अपना खुद का लिखा हुआ गीत भी सुनाया। तपस्या और त्याग: इस दौरान कई श्रावक-श्राविकाओं ने उपवास, एकासन, बेले और तेले का प्रत्याख्यान (संकल्प) किया। तारादेवी बैद ने 40 की तपस्या का और रचना देवी रांका ने 28 की तपस्या में दर्शन किए। मुनि नमिकुमारजी ने गंगाशहर प्रवास में 39, 22, 23 और 24 की तपस्या सफलतापूर्वक पूरी की है, और आज उनकी तपस्या का 31वां दिन है।

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रात्रि कार्यक्रम: सायंकालीन प्रतिक्रमण के बाद, शांतिनिकेतन में साध्वी विशद् प्रज्ञाजी और साध्वी लब्धि यशाजी के सान्निध्य में एक विशेष रात्रि कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसका विषय था “हमारा संघ, हमारा दायित्व”।

जाप और विशेष व्याख्यान: पर्युषण पर्व के दौरान दोनों स्थानों पर जाप का सिलसिला जारी है। पुरुषों का जाप अखंड रखा गया है, जबकि महिलाओं का जाप 13 घंटे का है। शांतिनिकेतन में दोपहर 2 से 3 बजे तक पर्युषण काल का विशेष व्याख्यान भी होता है।

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