मुझे मेरे भगवान पर स्वाभिमान है- रामकथा में जगद्गुरु

shreecreates
quicjZaps 15 sept 2025


चतुर्थ सत्र : जगद्गुरु ने बाल चरित्र सुनाया, सबको उदारता का पाठ सिखाया
नाचै हनुमान, नचावै रघुरैया…
बीकानेर , 22 नवम्बर । पलने
में झूल रहे रामलला और राघवेन्द्र सरकार की उदारता देख सब देव, राजा, प्रजा आनन्दित हो रही थी। नाचे हनुमान नचावे रघुरैया, रानी नाचे राजा नाचे, नाचे तीनों लोक ठुमक ठुमक पग धरत कपहिया।

indication
L.C.Baid Childrens Hospiatl
SETH TOLARAM BAFANA ACADMY

इन्हीं उद्गारों के साथ बुधवार को जगद्गुरु पद्मविभूषित श्रीरामभद्राचार्यजी महाराज ने रामचरित मानस श्रीराम कथा के चतुर्थ सत्र में प्रभु श्रीराम के जन्मोत्सव के बाद बालरूप की व्याख्या की। भगवान राम के यज्ञोपवित और गुरुकुल पढऩे सहित बाल्यकाल के सभी रूपों व चरित्रों का वर्णन सुनाया। जगद्गुरु ने कहा कि प्रभु श्रीराम उदार हैं, उनका चरित्र उदार हैं, उनके भक्त उदार हैं और राम नाम भी उदार है।
प्रभु की शरण में जाने वाले पाप योनि वाले भी तर जाते हैं, स्त्रियां जो संध्या नहीं कर पाती, वैश्य, शुद्र सब तर जाते हैं। जगद्गुरु ने कहा जो सनातन धर्मावलम्बी हैं उनको धर्म के साथ रहना चाहिए। धर्म से बड़ा कुछ नहीं, धर्म की राह पर चलने वाला ही प्रभु का प्रिय होता है।

pop ronak
kaosa

गंगाशहर-भीनासर-सुजानदेसर की गोचर भूमि में बसे सियारामनगर में अघोषित कुम्भ सा माहौल है। कार्यक्रम संयोजक अशोक मोदी ने बताया कि बुधवार को कथा से पूर्व बीकाजी ग्रुप के दीपक अग्रवाल, गणेश बोथरा, विनीत जैन, श्रीराम गोयल, गणेश गहलोत, राधेश्याम अग्रवाल, श्रीराम सिंघी, शांतिलाल मोदी, जयनारायण सोनी, बद्रीप्रसाद अग्रवाल ने जगद्गुरु का माल्यार्पण किया। मुख्य यजमान अविनाश मोदी, गुजरात न्यायाधीश रोहित अग्रवाल, अंजनी अग्रवाल, संजय चौधरी, सियाराम कच्छावा, जगदीश मोदी, हरिकिशन कुम्हार, अरविन्द शर्मा, रामनारायण अग्रवाल आदि ने पादुका पूजन किया। कार्यक्रम सचिव श्रीभगवान अग्रवाल ने बताया कि कथा पश्चात् विष्णुदत्त, लेघाराम, मोतीलाल जेठमल स्वामी, हनुमान भांभू, भंवर स्वामी, लीलाधर भांभू, रमेश सोनी, सुशील सोनी, महावीर सोनी, श्रीराम तर्ड, अशोक अग्रवाल, विकास अग्रवाल, शिव भाटी, मनोज भाटी, बजरंग सोनी, सुरेन्द्र सोनी आरती में शामिल रहे।

श्रीरामकथा की 1379वीं शृंखला, रामसुखदासजी महाराज का किया स्मरण

जगद्गुरु श्रीरामभद्राचार्यजी महाराज ने बताया कि उनके द्वारा कही श्रीराम कथा की यह 1379 शृंखला है। कथा के दौरान परम स्नेही रामसुखदासजी का स्मरण करते हुए जगद्गुरु ने कहा कि उनकी याद आती है तो मन भर जाता है, उनका विनम्र व्यक्तित्व था। राम नाम का जप उनका स्वभाव था और गौ ब्राह्मण, संत के प्रति उनका सम्मान अनिवार्य था। जगद्गुरु ने कहा कि उन्होंने घर-द्वार छोड़ा, नौकरी छोड़ी और सब भगवान के लिए छोड़ा है, प्रभु पूजा के लिए छोड़ा है व्यक्ति पूजा के लिए नहीं छोड़ी। मुझे मेरे भगवान पर स्वाभिमान है।

mmtc 2 oct 2025

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *