त्रिदिवसीय ज्ञानशाला शिविर का भव्य समापन; बच्चों ने सीखे संस्कार और धर्म के मूल मंत्र


बीकानेर (गंगाशहर), 29 दिसंबर। श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा गंगाशहर के तत्वावधान में आयोजित तीन दिवसीय ज्ञानशाला शिविर का रविवार को तेरापंथ भवन में सफलतापूर्वक समापन हुआ। यह शिविर उग्रविहारी तपोमूर्ति मुनि श्री कमल कुमार जी स्वामी के पावन सानिध्य में आयोजित किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में नन्हे ज्ञानार्थियों ने जैन दर्शन और जीवन मूल्यों का प्रशिक्षण प्राप्त किया।


गुरुदेव तुलसी का अनुपम अवदान है ‘ज्ञानशाला’
समापन सत्र को संबोधित करते हुए मुनि श्री कमल कुमार जी ने कहा कि तेरापंथ धर्म संघ के विभिन्न आयामों में ‘ज्ञानशाला’ का स्थान अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने इसे आचार्य तुलसी का एक अनुपम अवदान बताते हुए कहा कि यहीं से बच्चों के चरित्र निर्माण की नींव पड़ती है। मुनि श्री ने प्रेरणा दी कि बच्चों को केवल किताबी ज्ञान ही नहीं, बल्कि 25 बोल और अर्हत वंदना जैसे पाठ कंठस्थ होने चाहिए। उन्होंने कठिन शब्दों के लेखन और शुद्ध उच्चारण पर जोर देते हुए कहा कि इससे सीखे गए ज्ञान की शुद्धता बढ़ती है।


11 जनवरी को होगी देशव्यापी परीक्षा
ज्ञानशाला के थली अंचल के सहसंयोजक रतनलाल छलाणी ने बताया कि ज्ञानशाला के संचालन में तेरापंथी सभा के साथ महिला मंडल और तेरापंथ युवक परिषद सहयोगी के रूप में निरंतर सक्रिय हैं। उन्होंने आगामी शैक्षणिक गतिविधियों की जानकारी देते हुए बताया कि 11 जनवरी को पूरे देश में ज्ञानशाला की मौखिक परीक्षा आयोजित की जाएगी, जिसके लिए यह शिविर तैयारी की दृष्टि से अत्यंत सहायक रहा है।
प्रशिक्षिकाओं ने दी संस्कारों की शिक्षा
मुख्य प्रशिक्षिका सुनीता डोसी ने बताया कि शिविर के दौरान ज्ञानार्थियों को ‘शिशु संस्कार बोध’ भाग 1 से 5 तक का गहन अध्ययन और दोहरान करवाया गया। ज्ञानशाला प्रभारी चैतन्य रांका ने बताया कि इस तीन दिवसीय प्रशिक्षण में रुचि छाजेड़, बुलबुल बुच्चा, रक्षा बोथरा, सरिता आंचलिया, कविता चोपड़ा, श्रीया गुलगुलिया, कनक गोलछा, शीतल नाहटा, संतोष सिंगी, लीला सिंगी और जय श्री डागा जैसी अनुभवी प्रशिक्षिकाओं ने अपनी सेवाएं दीं। व्यवस्थाओं में रजनीश गोलछा, ऋषभ लालानी और जिनेश नाहटा का विशेष सहयोग रहा।








