राजराजेश्वरी नगर में एकदिवसीय प्रेक्षाध्यान शिविर संपन्न



राजराजेश्वरी नगर, 6 अक्टूबर । युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमण जी द्वारा घोषित ‘प्रेक्षा कल्याण वर्ष’ के अंतर्गत, साध्वी पुण्ययशाजी के सान्निध्य में और प्रेक्षा फाउंडेशन के तत्वावधान में रविवार, 5 अक्टूबर को एकदिवसीय प्रेक्षाध्यान शिविर का सफल आयोजन किया गया। यह शिविर प्रातः 6:30 बजे से सांय 4:30 बजे तक चला और इसमें अच्छी संख्या में लोगों ने भागीदारी की।
ध्यान का आध्यात्मिक और व्यवहारिक महत्व
साध्वी पुण्ययशाजी ने प्रेक्षाध्यान के विषय में विस्तृत मार्गदर्शन दिया। उन्होंने फ़रमाया कि ध्यान वास्तव में चेतना का मार्गांतरीकरण है—जब चेतना पदार्थों से हटकर भीतर की ओर जाने लगती है।




ध्यान के उद्देश्य:



- आध्यात्मिक उद्देश्य: संवर (कर्मों का रुकना) और निर्जरा (कर्मों का क्षय) को पुष्ट करना।
- व्यवहारिक उद्देश्य: भाव परिवर्तन, स्वभाव परिवर्तन, आरोग्य में प्रगति, आंतरिक शांति और अतीन्द्रिय ज्ञान की प्राप्ति करना।
- साध्वी बोधिप्रभाजी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि ‘प्रेक्षाध्यान जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में किस प्रकार उपयोगी हो सकता है।’
प्रशिक्षण सत्र और अभ्यास
प्रशिक्षण की मुख्य भूमिका प्रेक्षा फाउंडेशन साउथ कोऑर्डिनेटर एवं प्रेक्षा प्रशिक्षिका वीणा बैद ने निभाई। उन्होंने प्रतिभागियों को निम्न विषयों पर विस्तृत जानकारी और अभ्यास कराया:
- प्रेक्षाध्यान साधक की दिनचर्या कैसी हो।
- कायोत्सर्ग की विधि और उसके लाभ।
- प्राणायाम और समताल श्वास प्रेक्षा की विधि एवं लाभ।
- नौ मंगल भावनाएँ।
उन्होंने ॐ मंत्र का प्रयोग, कायोत्सर्ग और अर्हम् न्यास का प्रयोग भी कराया, तथा योगाभ्यास भी करवाया, जिसमें प्रशिक्षिका नीता सेठिया ने सहयोग दिया। प्रेक्षा प्रशिक्षक छत्र सिंह मालू ने दीर्घ श्वास प्रेक्षा, समताल श्वास प्रेक्षा और नौ मंगल भावनाओं का प्रयोग कराया। वहीं, प्रेक्षा प्रशिक्षक हेमराज सेठिया ने आहार विषय पर महत्वपूर्ण जानकारी दी। कार्यक्रम का सफल संचालन सभा अध्यक्ष राकेश छाजेड़ के कुशल निर्देशन में हुआ, जिसमें संयोजक विकास दुगड़ ने समुचित व्यवस्था का श्रम नियोजन किया। स्वागत वक्तव्य सभा की उपाध्यक्ष श्रीमती सरोज आर बैद ने दिया, जबकि आभार सभा के पूर्व अध्यक्ष मनोज डागा ने व्यक्त किया।
