पर्युषण पर्व पर देश में आयोजित हुआ ध्यान दिवस व तपोअभिनदंन व प्रवचन



अर्हताओं को प्राप्त करना : ध्यान – साध्वी पुण्ययशा




बेंगलुरु , 26 अगस्त। परमपूज्य आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी पुण्ययशाजी के सान्निध्य में पर्युषण पर्व के सातवें दिन को ध्यान दिवस के रूप में मनाया गया। साध्वीश्री जी ने अपने मंगल उद्बोधन में भगवान महावीर के भवों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि 27वें नंदन मुनि के भव में उन्होंने तीर्थंकर नामकर्म का उपार्जन किया। ध्यान के द्वारा व्यक्ति अपने जीवन में अनेक सिद्धियों को प्रात कर सकता है, यह आत्मजागरण की प्रकिया है। ध्यान के द्वारा जीवन में अनेक उपलब्धियां अर्जित की जा सकती है। ध्यान भगवान महावीर की साधना का प्रमुख ध्येय था। साध्वी श्री बोधिप्रभा जी ने “उत्तरपारणा तैयार छमछरी आवै है” गीत के माध्यम से पर्युषण महापर्व की प्रेरणा देते हुए ध्यान के महत्व को प्रतिपादित किया। साध्वी श्री जी की प्रेरणा से पचरंगी तप में बढ़े तपस्वी पायल जैन(केंगेरी), मनोहर चावत, श्रीमती पुष्पा जैन, सुश्री रितु बोहरा, युग बोहरा, श्रीमती कोमल दूगड़, कौशल गधैया, सुश्री जाह्नवी पटावरी, सुश्री हर्षिता भंसाली, सुश्री प्रज्ञा दूगड़, हृदय पटावरी ने आठ एवं नौ की तपस्या का प्रत्याख्यान किया, कार्यक्रम का मंगलाचरण हनुमंतनगर महिला मण्डल द्वारा किया गया। सभाध्यक्ष राकेश छाजेड़, मंत्री गुलाब बाँठिया, तेयुप मंत्री संदीप बैद, महिला मंडल अध्यक्ष मंजू बोथरा, मंत्री वंदना भंसाली व समस्त संस्था के पदाधिकारीगण एवं श्रावक-श्राविकाओं की अच्छी संख्या में उपस्थिति रही। तेयुप उपाध्यक्ष विपुल पितलिया ने आज के कार्यकम की विस्तृत जानकारी दी। प्रतिदिन सांयकालीन प्रतिक्रमण में अच्छी संख्या में श्रावक समाज की उपस्थिति रहती है। सभा द्वारा हनुमंतनगर की ज्ञानशाला प्रशिक्षिका मंजू दक को ज्ञानशाला प्रकोष्ठ से अखिल भारतीय स्तर पर श्रेष्ठ प्रशिक्षिका से सम्मानित किए जाने पर बधाई प्रेषित की गई। साध्वी श्री के मंगलपाठ से कार्यक्रम सम्पन्न हुआ।
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ध्यान दिवस
बीकानेर , 26 अगस्त। तेरापंथ भवन बीकानेर में विराजित आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या शासन श्री साध्वी मंजू प्रभा जी एवं साध्वी कुंथु श्री जी के मंगल सन्निधि में आध्यात्मिक पर्व पर्युषण की आराधना अनवरत गतिमान है l आज छठा दिवस ध्यान दिवस पर साध्वी कुंथु श्री जी ने परिषद को उद्बोधित करते हुए फरमाया आज का युग टेंशन का युग है l शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक तनाव को दूर करने के लिए आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी का अनुपम अवदान है प्रेक्षाध्यान l
ध्यान का तात्पर्य है एक आलंबन पर याने किसी पर भी अपने आप को स्थिर करना एकाग्र करना स्वयं से स्वयं को देखना ध्येय के प्रति दत्त चित्र होना ध्यान है l ध्यान का लक्ष्य होना चाहिए चित्त की निर्मलता l प्रेक्षाध्यान का ध्येय सूत्र भी यही बताया गया है मैं चित्तशुद्धि के लिए प्रेक्षा ध्यान का प्रयोग कर रही हूं l ध्यान के पांच फलश्रुति मुख्यतया बताई गई है l 1.व्यक्ति तनाव से मुक्त जीवन जी सकता है l 2.मन की प्रसन्नता ध्यान का अभ्यास सम विषम परिस्थितियों में प्रसन्नता की पूंजी को स्वयं के पास संभाल कर रखता है l उदासीन व गमगीनता से दूर रहता है l 3.संवेग नियंत्रण क्रोध आदि आवेग अल्पीकरण ही ध्यान के प्रयोग की सार्थकता है l ध्यान से प्रकृति में परिवर्तन नहीं आया तो वह पूर्णता सफल नहीं हो सकता l 4.संतोष -असंतोष प्रमुख बीमारी है आदमी को संतोष नहीं होता l असंतोषी व्यक्ति ज्ञान की गहराइयों में नहीं जा सकता l 5.अंतर्दृष्टि का विकास ,आंतरिक चेतना का विकास ही आध्यात्मिकता का विकास है l वह ध्यान के सफलता की कसौटी है l प्रेक्षा ध्यान पद्धति वर्तमान में जीना सिखाती है l इसके छोटे-छोटे प्रयोगो को जैसे श्वासप्रेक्षा, कायोत्सर्ग, अंतर्यात्रा आदि नियमितता से अभ्यास करके व्यक्ति ध्यान के क्षेत्र में आगे बढ़ सकता है l साध्वी आलोक प्रभा जी ने ध्यान दिवस पर अपने विचारों की अभिव्यक्ति दी l अनेक तपस्वी भाई बहनों की अनुमोदना का कार्यक्रम हुआ l करीब दो अठाई, नौ ,उपवास बेले आदि तपस्याओं को प्रत्याख्यान साध्वी श्री जी ने करवाया l सभी तपस्वियों के तप की अनुमोदना में साध्वी वृंद ने बड़े उल्लास व जोश भरे शब्दों में तप करने वालों का गुण गौरव गाते हैं गीत का संगान किया l
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कोयंबतूर में तेरापंथ सभा द्वारा तपस्वियों का सम्मान
कोयंबतूर, 26 अगस्त। कोयंबतूर में पर्युषण पर्व के उपलक्ष्य में, तेरापंथ सभा भवन में तपस्या कर रहे साधकों के सम्मान में एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया। यह कार्यक्रम उपासक कांतिलाल कावड़िया और फूलचंद छत्रावत की उपस्थिति में हुआ।
कार्यक्रम की शुरुआत नमस्कार महामंत्र से हुई, जिसके बाद तपस्वियों के परिवारों ने अपने विचार व्यक्त किए। इस दौरान कई तपस्वियों की साधना का अभिनंदन किया गया, जिनमें सपना श्रीश्रीमाल की 15 दिनों की तपस्या और वैभव गुनेचा की 9 दिनों की तपस्या शामिल है। इसके अतिरिक्त, कनक बुच्चा, नेहा बुच्चा, राजेश बुच्चा, ऋषभ बुच्चा, ललिता बरलोटा और धैर्य मरोठी की तपस्या का भी अनुमोदन किया गया।
इस अवसर पर कई लोगों ने बेला, तेला और चार दिनों की तपस्या का संकल्प भी लिया, जिससे पूरे भवन में खुशी और उत्साह का माहौल बना रहा। कोयंबतूर तेरापंथ सभा के उपाध्यक्ष धनराज सेठिया ने सभी स्थानीय संस्थाओं की ओर से तपस्वियों का अभिनंदन किया। कार्यक्रम का संचालन बबीता गुनेचा ने अपनी मधुर गायकी से किया।
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