बीकानेर में डॉ. शंकरलाल स्वामी की तीन पुस्तकों का लोकार्पण, कविताओं में बसी माटी की सुगंध



बीकानेर, 10 अक्टूबर। शब्दरंग साहित्य एवं कला संस्थान के तत्वावधान में बहुआयामी कवि-कथाकार डॉ. शंकरलाल स्वामी की हिंदी व राजस्थानी भाषा की तीन नई पुस्तकों का लोकार्पण समारोह स्वामी सदन में आयोजित किया गया। इस अवसर पर डॉ. स्वामी के रचनाकर्म पर विस्तृत चर्चा हुई और नगर की प्रमुख साहित्यिक संस्थाओं ने उनका अभिनंदन किया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि व व्यंग्यकार-संपादक डॉ. अजय जोशी ने कहा कि डॉ. स्वामी की हिंदी व राजस्थानी कविताओं में माटी की अनूठी सुगंध बसी है। उन्होंने बताया कि डॉ. स्वामी ने अपनी रचनाओं में मौलिक कथ्य, सहज भाषा के माध्यम से आम जनमानस की आवाज को अभिव्यक्त किया है। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ लेखक अशफाक कादरी ने डॉ. स्वामी को बहुआयामी रचनाकार करार देते हुए कहा कि उन्होंने हिंदी व राजस्थानी में गजल, कविता, दोहे, कहानी, लघुकथा, रेखाचित्र, यात्रा वृतांत व संस्मरण जैसी विविध विधाओं में सृजन किया है। विशेष रूप से, उन्होंने गजल विधा को नया रूप प्रदान किया है।
विशिष्ट अतिथि डॉ. कृष्णा आचार्य ने कहा कि डॉ. स्वामी मर्म, कर्म व धर्म को निभाते हुए साहित्य सृजन करते हैं। वे अपने गहन अनुभवों व वर्तमान परिस्थितियों को विचारों के साथ गीत, कविता व गजल के रूप में शब्दबद्ध कर सुंदर पुस्तकों का मूर्त रूप पाठकों तक पहुंचाते हैं।
पुस्तकों पर पत्रवाचन
लोकार्पित पुस्तक “गजल गोठ” पर डॉ. समीक्षा व्यास ने पत्रवाचन करते हुए कहा कि डॉ. स्वामी की गजलें अध्यात्म व दर्शन की ओर ले जाती हैं, जो आत्मा से परमात्मा तक की यात्रा कराती हैं। इनमें प्रेम, भाईचारा, त्योहारों के रंग, स्त्री विमर्श, तिरंगा, संविधान, परदुख, कातरता व भ्रष्टाचार जैसे जीवन के विविध विषयों को छुआ गया है।
दूसरी लोकार्पित गजल संग्रह “गजल गुलाल-मुक्तक माल” पर डॉ. कृष्णलाल विश्नोई ने पत्रवाचन किया। उन्होंने कहा कि डॉ. स्वामी की ये रचनाएं जीवन में आगे बढ़ने का मार्ग प्रशस्त करती हैं और लाजवाब हैं।
राजस्थानी पुस्तक “राज-काव्य” के पत्रवाचन में डॉ. गौरीशंकर प्रजापत ने बताया कि डॉ. स्वामी के राजस्थानी हाइकु सामाजिक यथार्थ व मानवीय चेतना के पैरोकार हैं। वे राजस्थानी साहित्य में आधुनिक संवेदनशीलता व जनजीवन के चितेरे हैं।
कार्यक्रम समन्वयक राजाराम स्वर्णकार ने डॉ. शंकरलाल स्वामी के व्यक्तित्व व कृतित्व पर पत्रवाचन किया। शब्दरंग साहित्य एवं कला संस्थान व बागेश्वरी संस्थान ने कवि का अभिनंदन किया, जिसका पत्र मोहम्मद सलीम सोनू ने वाचन किया।
डॉ. शंकरलाल स्वामी ने अपने रचनात्मक सृजन को साझा करते हुए कहा कि लेखन चिकित्सा कर्म से भी कठिन है। भाषा व शब्द संयोजन की कला के बिना कलम कागज पर नहीं चल सकती। गद्य की तुलना में छंदबद्ध पद्य की रचना और भी दुरूह है, जो साधना से ही संभव है।
कार्यक्रम का शुभारंभ
अतिथियों ने मां सरस्वती के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलन व पुष्प अर्पण कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। कवयित्री डॉ. ज्योति वधवा, खुशी व दिव्या ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की। शिक्षिका सुनीता स्वामी ने स्वागत उद्बोधन दिया, जबकि संचालन बाबूलाल छंगाणी ने किया। डॉ. श्रीकांत स्वामी ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
समारोह में प्रेरणा प्रतिष्ठान के अध्यक्ष प्रेमनारायण व्यास, वरिष्ठ नागरिक समिति के अध्यक्ष डॉ. एस.एन. हर्ष, डॉ. बसंती हर्ष, बागेश्वरी संस्थान के अध्यक्ष अब्दुल शकूर सिसोदिया, कवि शिवशंकर शर्मा, कवि जुगलकिशोर पुरोहित, पत्रकार कौशलेश गोस्वामी, सुभाष विश्नोई, इसरार हसन कादरी, डॉ. मोहम्मद फारूक चौहान, गोविंद जोशी, राधा वैष्णव, दिनेश वैष्णव सहित नगर के गणमान्यजन उपस्थित रहे।




