55 दिनों की तपस्या के बाद तारादेवी बैद के तिविहार संथारे का आज दूसरा दिन



गंगाशहर, 7 सितंबर। बीकानेर के सुश्रावक माणकचंद जी आरी परिवार में जन्मीं और गंगाशहर के रतनलाल जी बैद के पुत्र विजय कुमार बैद से विवाहित तारादेवी बैद ने 55 दिनों की कठिन तपस्या के बाद तिविहार संथारा का संकल्प लिया है। सात भाइयों की इकलौती बहिन तारादेवी की इस आध्यात्मिक यात्रा में उन्हें उनके सास-ससुर और गुरुजनों के संस्कारों से प्रेरणा मिली। उनकी सास, स्वर्गीय केशरदेवी, जिन्होंने गंगाशहर तेरापंथ महिला मंडल के अध्यक्ष पद का कुशलतापूर्वक निर्वहन किया था, से मिले संस्कारों को तारादेवी ने अपने जीवन में उतारा। उन्होंने स्वयं भी महिला मंडल में मंत्री का दायित्व निभाया और परिवार व समाज में एक सम्मानित स्थान बनाया।




तपस्या का संकल्प: एक चमत्कार
बच्चों की शादी के बाद तारादेवी ने अपना अधिकांश समय सामायिक और स्वाध्याय में बिताना शुरू कर दिया। हाल ही में, उनका स्वास्थ्य लगातार खराब हो रहा था, जिससे वे पराधीन होने लगीं और सामायिक में भी कमी आ गई। इस स्थिति में, उन्होंने आध्यात्मिक उपचार के लिए तपस्या करने का मन बनाया। जिन लोगों ने उन्हें इंजेक्शन के बिना रात में नींद न आने की स्थिति में देखा था, उनके लिए 55 दिनों की तपस्या करना किसी चमत्कार से कम नहीं था। उन्होंने पहले कभी 8 दिनों से अधिक की तपस्या नहीं की थी। ऐसा प्रतीत होता है कि उनके सास-ससुर और शासनश्री मुनिश्री गणेशमल जी, शासनश्री साध्वीश्री मधुरेखा जी और साध्वी श्री विनम्रयशा जी की वर्षों तक की गई सेवा का फल उन्हें मिला और उनकी आत्माओं ने परोक्ष रूप से उनकी सहायता की।


आचार्य महाश्रमण जी की आज्ञा
परिवारजनों के आग्रह के बावजूद, तारादेवी का मन संथारा के लिए तत्पर था। आखिरकार, उनके पति विजय कुमार बैद ने आचार्य श्री महाश्रमण जी को उनकी स्थिति की जानकारी दी और संथारे की प्रार्थना की। आचार्य श्री ने उन पर विशेष कृपा करते हुए संदेश भेजा: “बैद परिवार तथा उग्रविहारी तपोमूर्ति मुनिश्री कमल कुमार जी स्वामी, उचित समय पर श्रीमती तारादेवी बैद की भावना का परीक्षण करके तिविहार संथारा पचखा सकते हैं।” इस आज्ञा के बाद, 6 सितंबर 2025 को दोपहर 2:31 बजे, चार तीर्थों के मध्य, उग्रविहारी तपोमूर्ति मुनिश्री कमल कुमार जी ने तारादेवी को विधिवत तिविहार संथारे का संकल्प दिलाया। इस दौरान सेवा केंद्र व्यवस्थापिका साध्वीश्री विशदप्रज्ञा जी, साध्वीश्री लब्धियशा जी एवं अनेक साधू साध्वियां और समाज के प्रतिष्ठित लोग व परिवारजन उपस्थित थे।
संथारा प्रत्याख्यान की खबर सुनते ही दूर दराज से लोग दर्शनाथ उनके घर पुरानी लेन डागा गली में पहुँच रहे हैं। ज्ञान गच्छ की साध्वियों ने उनको मंगलपाठ सुनाया। जैन महासभा , तेरापंथी सभा , युवक परिषद् , पुरानी लेन ओसवाल पंचायती के पदाधिकारियों व सदस्यों ने संथारा साधिका के दर्शन करके संथारे की अनुमोदना करते हुए खमत खामना किया ।