बीकानेर तेरापंथ भवन में भक्तामर अनुष्ठान का उल्लासपूर्ण आयोजन


बीकानेर, 20 जुलाई। बीकानेर के तेरापंथ भवन में विराजित आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या शासन श्री द्वय साध्वी मंजू प्रभा जी एवं साध्वी कुंथु श्री जी के पावन सानिध्य में आज भक्तामर का अनुष्ठान अत्यंत उल्लासपूर्वक आयोजित किया गया।
भक्तामर स्तोत्र का महत्व और शक्ति
साध्वी कुंथु श्री जी ने सभा को भक्तामर के महत्व के बारे में बताते हुए फरमाया कि भक्तामर स्तोत्र जैन परंपरा में एक सर्वमान्य स्तोत्र है, जिसे श्वेतांबर और दिगंबर दोनों परंपराओं के अनुयायी श्रद्धा के साथ स्तुति करते हैं। उन्होंने कहा कि जीवन में अनेक परिस्थितियाँ आती हैं, और व्यक्ति चाहता है कि वह उनसे प्रभावित न हो। संसार में अनेक बाधाएँ और समस्याएँ हैं, और उनका सामना करने के लिए मनोबल की आवश्यकता होती है। ऐसा कोई व्यक्ति नहीं जिसके जीवन में समस्या न आए। जो समस्याओं का मुकाबला करता है, वह उन्हें पार कर जाता है। समस्याओं का सामना करने के लिए एक आलंबन चाहिए।




साध्वी श्री जी ने बताया कि सबसे बड़ा आलंबन यही स्तोत्र है। आचार्य मानतुंग द्वारा रचित भक्तामर स्तोत्र शक्तिशाली और मंत्र गर्भित है, जिससे सारे कार्य सिद्ध हो सकते हैं। इसका प्रतिदिन पाठ करने वाला व्यक्ति उल्लास, शांति, सुख और समाधि की अनुभूति कर सकता है। इस स्तोत्र में भक्ति की शक्ति, आदिनाथ के प्रति अनुरक्ति और भीतर की ओर गति करने की ऊर्जा समाहित है। उन्होंने ऐतिहासिक प्रसंगों, जैसे जिनदत सूरी आदि के घटना चक्र पर भी प्रकाश डाला, जिससे भक्तामर की महिमा से उपस्थित जनसमूह अत्यधिक प्रभावित हुआ।


सामूहिक सहभागिता और मंगलाचरण
साध्वी गुरुयशा जी, साध्वी सुमंगला श्री जी, संबोध यशा जी आदि ने अनेक मंत्रों का उच्चारण किया और सामूहिक स्वर में सभी उपस्थित लोगों ने अपनी सहभागिता दर्ज करवाई। कार्यक्रम में उपस्थिति बहुत अच्छी रही। साध्वी वृंद ने ऋषभाय नमः गीत से मंगलाचरण किया।