परमात्मा के दर्शन की शक्ति से व्यक्ति के पाप नष्ट होते हैं- मेहुल प्रभ सागर

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बीकानेर, 8 सितंबर। रांगड़ी चौक में सुगनजी महाराज के उपासरे में आयोजित चातुर्मासिक प्रवचन में सोमवार को गणिवर्य मेहुल प्रभ सागर जी ने परमात्मा के दर्शन की महिमा पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि परमात्मा के दर्शन की शक्ति से व्यक्ति के पाप नष्ट होते हैं और वह मोक्ष की ओर बढ़ता है।
दर्शन का महत्व
गणिवर्य ने “दर्शन देव देवस्य, दर्शनम् पाप नाशनम्, दर्शन स्वर्ग सोपानम, दर्शनं मोक्ष साधनम्” दोहे का अर्थ समझाते हुए कहा कि परमात्मा का दर्शन संसार के अंधकार को दूर कर जन्म-जन्म के पापों का नाश करता है। यह सूर्य के समान है जो अज्ञान के अंधकार को मिटाता है और अमृत के समान लाभ प्रदान करता है।

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आत्मा और परमात्मा की शरण
उन्होंने जोर देकर कहा कि अपने भीतर बसे परमेष्टि स्वरूप परमात्मा के अलावा किसी की शरण नहीं लेनी चाहिए। परमात्मा की शरण और आत्म-दर्शन ही जन्म, बुढ़ापे और मृत्यु के चक्र का नाश कर सकते हैं। गणिवर्य ने कहा कि जब व्यक्ति मन, वचन और कर्म से स्वयं को परमात्मा का और परमात्मा को अपना मानता है, तो उसके जीवन में विजय सुनिश्चित होती है। इसके विपरीत, क्षण-भंगुर सांसारिक वस्तुओं और रिश्तों से मोह रखने से पाप और दोष बढ़ते हैं। उन्होंने ज्ञान योग, सामर्थ्य योग और शास्त्र योग का भी वर्णन किया और श्रावक-श्राविकाओं को नियमित स्वाध्याय करने की सलाह दी, क्योंकि स्वाध्याय से ही आंतरिक चक्षु खुलते हैं।

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इस अवसर पर, कई गणमान्य व्यक्तियों का अभिनंदन किया गया, जिसमें मुनि मंथन प्रभ सागर के भाई अक्षय सिंघवी और अवंती पार्श्वनाथ जैन तीर्थ के अध्यक्ष अशोक कोठारी का परिवार शामिल था। इस अभिनंदन कार्यक्रम में श्री चिंतामणि जैन मंदिर प्रन्यास, अखिल भारतीय खरतरगच्छ युवा परिषद और अन्य जैन संगठनों के प्रतिनिधि भी मौजूद थे।

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