दादा दादी चित्त समाधि शिविर का आयोजन

shreecreates
quicjZaps 15 sept 2025

साहूकारपेट, चेन्नई, 23 सितम्बर। श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा ने 65 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों के लिए ‘दादा दादी चित्त समाधि शिविर’ का आयोजन किया। साध्वीश्री उदितयशाजी ठाणा 4 के सान्निध्य में हुए इस शिविर में बड़े-बुजुर्गों को उनके अनुभवों का सम्मान करने और एक सुखद जीवन जीने के लिए आध्यात्मिक मार्गदर्शन दिया गया।
अनुभव ही सबसे बड़ा खजाना
साध्वीश्री उदितयशाजी ने “बीती ताहि विसार दे, आगे की सुधि लेई” विषय पर अपनी बात रखते हुए कहा कि बड़े-बुजुर्ग अपने अनुभवों के ज्ञान से आलोकित होते हैं। उन्होंने कहा कि बच्चों की सफलता में माता-पिता और दादा-दादी का आशीर्वाद बहुत ज़रूरी है, क्योंकि यह उन्हें जीवन के हर पायदान पर आगे बढ़ने में मदद करता है।

indication
L.C.Baid Childrens Hospiatl
SETH TOLARAM BAFANA ACADMY

उन्होंने सलाह दी कि अब बड़े-बुजुर्गों को नई पीढ़ी के कामों में ज़्यादा दखल नहीं देना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर वे अपने अनुभव के खजाने से प्यार भरे शब्दों का इस्तेमाल कर छोटे को समझाएं तो उनका जीवन स्वर्ग के समान हो सकता है। साध्वीश्री ने बारह व्रतों और सुमंगल साधना से जुड़कर अपने जीवन को और उन्नत बनाने का सुझाव दिया।

pop ronak
kaosa

जीवन का संध्याकाल: आत्मरंजन का समय
साध्वी संगीतप्रभाजी ने कहा कि जीवन का यह संध्याकाल आत्मरंजन का समय है। उन्होंने कहा कि यह बुढ़ापा खुद में रमण करने और आगे की जीवन यात्रा के लिए त्याग, प्रत्याख्यान और संयम जैसे गुणों से अपना ‘टिफिन’ भरने का समय है। उन्होंने सुझाव दिया कि हमें दुनियादारी के हिसाब-किताब को छोड़कर त्याग का हिसाब-किताब बनाना चाहिए और बाहरी क्रोध और वासना से दूर रहना चाहिए। शिविर का संचालन साध्वी भव्ययशाजी ने किया, जिन्होंने ‘रिसॉर्ट’ शब्द के अक्षरों से प्रेरणा देते हुए कहा कि अब हमें भीतरी शांति में रहना चाहिए। साध्वी भव्ययशाजी और साध्वी शिक्षाप्रभाजी ने ‘अपने घर भीतर आकर, हम सदा सुखी बन जाये’ गीत गाया। कार्यक्रम के अंत में एक लकी ड्रॉ भी निकाला गया, जिसमें भाग लेने वाले सभी लोगों ने अपने भाग्य को सराहा।

दादा-दादी चित्त समाधि शिविर’ में करीब 180 बुजुर्गों ने हिस्सा लिया। शिविर संयोजक सम्पतराज चोरड़िया ने बताया कि कई प्रतिभागी ऐसे थे जो शायद ही कभी घर से बाहर निकलते हैं, लेकिन आज वे अपने परिवार के सहयोग से आध्यात्मिक लाभ प्राप्त करने के लिए यहाँ आए।

23 वर्षों का सफल आयोजन
सम्पतराज चोरड़िया ने इस शिविर के 23 वर्षों के इतिहास के अनुभव साझा किए, जो हर चातुर्मास में आयोजित होता है। उन्होंने कहा कि इन शिविरों से बुजुर्गों को आध्यात्मिक शांति मिलती है। शिविर के अंत में, मंत्री गजेंद्र खांटेड ने सभी का आभार व्यक्त किया। इस शिविर को सफल बनाने में कई कार्यकर्ताओं का श्रम लगा। कार्यक्रम का समापन मंगल पाठ के साथ हुआ।

 

mmtc 2 oct 2025

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *