पंच परमेष्ठी के आह्वान को समझें- गणिवर्य



आयम्बिल तपस्वियों का अभिनंदन बुधवार से




बीकानेर, 13 अक्टूबर। रांगड़ी चौक स्थित सुगनजी महाराज के उपासरे में बुधवार से चातुर्मास के दौरान लूखा भोजन कर आयम्बिल की तपस्या करने वाले श्रावक-श्राविकाओं का अभिनंदन शुरू किया जाएगा। यह अभिनंदन समारोह आगामी कुछ दिनों तक नियमित रूप से चलेगा।
पंच परमेष्ठी के आह्वान का महत्व
गणिवर्य मेहुल प्रभ सागर म.सा. ने मंगलवार को अपने प्रवचन में जैन धर्म के सर्वोच्च पदों, पंच परमेष्ठी (अरिहंत, सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय व साधु) के महत्व को समझाया। उन्होंने कहा पंच परमेष्ठी सर्वोच्च स्थान पर स्थित हैं और ये हमें संसार सागर से तैरने तथा मोक्ष की उड़ान भरने का आह्वान करते हैं। हमें पंच परमेष्ठी के इस आह्वान को आत्मसात करना चाहिए और ज्ञान, दर्शन, चारित्र व तप का आलम्बन लेकर धर्म में प्रवृत्त होकर प्रगति करनी चाहिए।



कषायों से मुक्ति: उन्होंने कहा कि जैन मुनि व साध्वीवृंद चातुर्मास के दौरान हमें काम, क्रोध, लोभ व मोह आदि कषायों को छोड़ने, पाप कर्मों से बचने और पुण्य का संचय करने के लिए प्रेरित करते हैं, ताकि हम 84 लाख के चक्कर से बचकर पंचम गति (मोक्ष) की ओर जा सकें। गणिवर्य ने भक्तों को देव, गुरु व धर्म से जुड़कर और परमात्म वाणी सुनकर मोक्ष मार्ग की ओर बढ़ने का संदेश दिया। इस अवसर पर कुन्नुर से आए मोती लाल गुलेच्छा का अभिनंदन कृष्ण लूणिया व नरेश भंडारी ने किया।
