आचार्य श्री तुलसी का 112वाँ जन्मदिन गंगाशहर में ‘अणुव्रत दिवस’ के रूप में मनाया गया

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quicjZaps 15 sept 2025

बीकानेर , 23 अक्टूबर। गंगाशहर स्थित तेरापंथ भवन में आचार्य श्री तुलसी का 112वाँ जन्मदिन ‘अणुव्रत दिवस’ के रूप में उग्र विहारी तपोमूर्ति मुनि श्री कमल कुमार जी स्वामी के सान्निध्य में मनाया गया। इस अवसर पर मुनि श्री कमल कुमार जी स्वामी ने आचार्य श्री तुलसी को ‘महामानव’ बताते हुए कहा कि ऐसे महापुरुष शताब्दियों में आते हैं। उन्होंने कहा कि आचार्य श्री तुलसी का जीवन दर्शन भारतीय आध्यात्मिक चेतना का एक अभिनव उन्मेष है, जिन्होंने व्यापक पदयात्राओं के माध्यम से अणुव्रत आंदोलन द्वारा जन जागरण का प्रयास किया।

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अणुव्रत आंदोलन और विसर्जन सूत्र आचार्य श्री तुलसी की प्रमुख देन

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मुनि श्री कमल कुमार जी स्वामी ने आचार्य श्री तुलसी के प्रमुख कार्यों का उल्लेख किया, जिनमें अणुव्रत आन्दोलन, रूढ़िवाद का उन्मूलन, नशामुक्ति, समण संस्कृति, प्रेक्षा ध्यान, जीवन विज्ञान का आविष्कार और साहित्य परंपरा प्रमुख हैं। उन्होंने आचार्य श्री तुलसी के “विसर्जन सूत्र” को आज के युग के लिए अनुकरणीय बताया। आचार्य काल में अपने पद का विसर्जन कर युवाचार्य को आचार्य पद पर नियुक्त करना पूरे विश्व के लिए एक अपूर्व घटना थी। आचार्य श्री तुलसी का अमर वाक्य “निज पर शासन – फिर अनुशासन” आज भी प्रेरणास्रोत है।


गंगाशहर में आचार्य श्री तुलसी का 112वां जन्मोत्सव – उपस्थित जनसमुदाय

नैतिकता और दलितों के उत्थान पर ज़ोर

कार्यक्रम में बोलते हुए पूर्व महापौर नारायण जी चोपड़ा ने आचार्य तुलसी के व्यक्तित्व और कर्तृत्व पर प्रकाश डाला और कहा कि आज राजनीति और प्रशासनिक क्षेत्र में नैतिकता और अणुव्रत के नियमों के पालन की महती आवश्यकता है।


तेरापंथी महासभा संरक्षक व न्यास के ट्रस्टी जैन लूणकरण छाजेड़ ने गुरूदेव तुलसी के अवदानों की चर्चा करते हुए कहा कि नारी उत्थान और कुरूतियों के निवारण के लिए उनके कार्य अतुलनीय हैं। जातिवाद और छुआछूत को मिटाने के प्रयासों के कारण उन्हें “दलितों का मसीहा” के रूप में जाना जाता है। तेयुप से ललित राखेचा, तेरापंथ सभा से कमल जी भंसाली, तेरापंथ प्रोफेशनल फॉर्म से अधिवक्ता श्रीमती विधा चोरडिया, महिला मंडल अध्यक्ष श्रीमती प्रेम बोथरा, कन्या मंडल से गरिमा भंसाली, अणुव्रत समिति मंत्री कन्हैया लाल बोथरा, शान्ति प्रतिष्ठान से धर्मेन्द्र डाकलिया ने अपने विचार व्यक्त किये।

भीखाराम चान्दमल 15 अक्टूबर 2025
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