उपकारी का स्थान सर्वोपरि होता है- मुनि हिमांशु कुमार

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quicjZaps 15 sept 2025

चेन्नई , 9 अगस्त। अध्यात्म के क्षेत्र में परम प्रभु द्वारा प्राप्त वचन हमारा मार्ग प्रशस्त करते हैं और इसी के कारण प्रभु का उपकार तीर्थंकरों का उपकार अतुल्य है। जब तीर्थंकरों का साक्षात सान्निध्य प्राप्त नहीं होता, उस समय गुरु उपकारी की विशेष भूमिका निभाते हैं।

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गुरु हमेशा आचार्य के रूप में संघ का संचालन करते हैं। स्वयं अपनी साधना को उज्जवल रखते हुए निर्मल पवित्र भाव से संयम पालन करते हैं। समागंन्तुकों के संयम का मार्ग प्रशस्त करते हैं ऐसे परम उपकारी आचार्य सदा स्तुत्य होते हैं। यह विचार मुनिश्री हिमांशु कुमार जी ने तेरापंथ भवन में आयोजित प्रवचन सभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किए।

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उन्होंने बताया की आचार्य समय-समय पर शिष्य की साधना को आगे बढ़ाने के लिए कोमलता भरे व्यवहार का प्रयोग करते हैं। कभी आवश्यक होने पर अनुशासन स्वरूप कुछ कठोर व्यवहार भी करते हैं। वह कठोर व्यवहार भी शिष्य के हित में होता है। मुनिश्री ने बताया कि आचार्य की के बहुआयामी व्यक्तित्व को हम समझें और उनके प्रति सदैव श्रद्धा भाव से प्रणत रहें।

मुनिश्री हिमांशु कुमार जी की तेरापंथ भवन में आयोजित प्रवचन सभा

तेरापंथ सभा चेन्नई के प्रचार प्रसार प्रभारी संतोष सेठिया ने बताया कि इससे पूर्व मुनि हेमंत कुमार ने कहा की सत्य के दो कोण है एक सत्य अनुभूत होता है और दूसरा सत्य आरोपित होता है। आरोपित सत्य अधूरा भी हो सकता है, एक पक्षीय भी हो सकता है और अनुभूत सत्य संपूर्ण होता है और सार्वभौम होता है। उन्होंने बताया अनुभूत सत्य जिन्हें उपलब्ध होता है वे धन्य होते हैं और उनके अनुभूत सत्य से जो लाभ प्राप्त करते हैं उसे अहोभाव से स्वीकार करते हैं, वे भी धन्य होते है। जिनेश्वर प्रभु अनुभूत सत्य के उत्कृष्ट उदाहरण है। उनके द्वारा प्रदत्त शिक्षाएं हमारे लिए उपयोगी है।

मुनिश्री ने जिनेश्वर प्रभु की एक शिक्षा का उल्लेख करते हुए कहा कि हमें छ जीवनिकायों के प्रति आत्म तुल्य व्यवहार और समभाव रखना चाहिए उन्होंने कहा कई जीव बेजुबान जरूर होते हैं पर वे बेजान नहीं होते। हमारा व्यवहार सभी जीवो के प्रति समान रहना चाहिए। जैसा सुख-दुख का अनुभव हमें होता है वैसा सभी को होता है।

तेरापंथ सभा चेन्नई के मंत्री गजेंद्र खाँटेड ने जानकारी दी की AMKM किलपॉक के श्री वर्धमान स्थानक वासी संघ द्वारा देश के विशेष भारत सरकार द्वारा मान्य वैज्ञानिको द्वारा ..जैन धर्म पर शोध की जैन दर्शन कार्यशाला शुक्रवार शाम 5 से 6 बजे रखी गई है ओर शनिवार को 3 से 4 बजे भी उनकी कार्यशाला रहेगी। इच्छुक श्रावक श्राविका कार्यक्रम में पधार कर आध्यात्मिक ज्ञान की वर्धापना करने का लक्ष्य रखे।

mmtc 2 oct 2025

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